इंदौर. इंदौर के एक उद्योगपति ने एक वेंटिलेटर बनाया है. इसमें उनके वैज्ञानिक दोस्तों ने उनकी मदद की. उद्योगपति का दावा है कि ये वेंटिलेटर यूरोपीय मानकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है और ये बाज़ार में उपलब्ध वेंटिलेटर से काफी सस्ता है. इसे गांव खेड़ों में भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है.इंदौर के फैक्ट्री के मालिक संजय पटवर्द्धन ने कोरोना से जूझ रहे देश दुनिया को वेंटिलेटर के सहारे देखा. वेंटिलेटर की कमी और महंगाई ने उन्हें अपने इस नये आविष्कार के लिए प्रेरित किया.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी मंज़ूरी
उन्होंने अपने एक वैज्ञानिक दोस्त से मदद ली. और 10 माह की मेहनत के बाद उन्होंने वेंटिलेटर बनाकर तैयार कर लिया. इसके साथ ही तय मानक और दस्तावेज की प्रक्रिया भी पूरी कर ली. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से इसकी मंजूरी भी मिल गयी है. यूरोपियन मानकों के अनुसार जीवन रक्षक उपकरण सदैव पारदर्शी होना चाहिए, ताकि मरीजो और उनके परिवार को मशीन की सक्रियता नजर आ सके. इस मशीन में इसका खास ख्याल रखा गया है.
ये है खासियत

डॉक्टर भंडारी दंपति ने यह तकनीक इजाद की थी. साथ ही केट के रिटायर्ड वैज्ञानिक अनिल थिप्से की मदद से उद्योगपति पटवर्द्धन ने इसे बनाया है. शुरुआत में यह सिर्फ पांच ही बनाए गए थे जो पहले ही दिन बिक भी गए. अब इसके बाद एक साथ करीब 50 वेंटिलेटर बनाये जाएंगे.