N/A
Total Visitor
29.7 C
Delhi
Friday, August 8, 2025

ओडिशा के जनजातीय लोगों की आजीविका को लाभांवित करती वन धन योजना

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राइफेड) की मुहिम ‘संकल्प से सिद्धि’- गाँव और डिजिटल कनेक्ट के तहत कई टीमों (जिनमें ट्राइफेड के अधिकारी और राज्य कार्यान्वयन एजेंसियां/ परामर्श एजेंसियां/ भागीदार शामिल हैं) ने वन धन विकास केंद्रों को सक्रिय करने और ग्रामीणों को इसके बारे में समझाने के लिए गाँवों की यात्राएं की हैं। यह यात्रा पूरे देश में हो रही है और इससे ट्राइफेड की टीम को वन धन विकास केंद्रों के जमीनी स्तर के क्रियान्वयन की देखरेख करने में मदद मिली है।

एक राज्य जहां वन धन योजना का कार्यान्वयन तेजी से हो रहा है, वह है ओडिशा। राज्य में 660 वन धन विकास केंद्रों के साथ, 22 वन धन विकास केंद्र समूहों में, 6300 से अधिक आदिवासियों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया जा रहा है।

पिछले कुछ महीनों में, इन समूहों में प्रसंस्करण, ब्रैंडिंग और पैकेजिंग के लिए आवश्यक मशीनरी की खरीद और प्रशिक्षण जारी है, जो पूरे राज्य में मयूरभंज, क्योंझर, रायगढ़, सुंदरगढ़ और कोरापुट में फैले हुए हैं। इस महीने की शुरुआत में आदिवासियों द्वारा कच्चे माल का उत्पादन और प्रसंस्करण भी शुरू किया गया है।

मयूरभंज जिले में आदिवासी लाभार्थियों के तीन समूह- लुगुबुरु वन धन विकास केंद्र क्लस्टर, मां धरित्री क्लस्टर और भीमाकुंड क्लस्टर- साल पत्तियों, साल बीज, कुसुम बीज और जंगली शहद के उत्पादन के लिए साल पत्तियों की प्लेट और कप, कुसम तेल और प्रोसेस्ड शहद पर काम करेंगे।

क्योंझर जिले में, अंचलिका खंडाधार क्लस्टर के आदिवासी लाभार्थी कच्चे आम, सरसों और हल्दी को आमपापड, आम के अचार, हल्दी पाउडर और सरसों के तेल में संसाधित करेंगे। बान दुर्गा क्लस्टर में लघु वनो पाद के रुप में इमली, साल बीज और चार मगज बीजों को प्रोसेस करके बिना बीज वाली इमली, इमली केक, साल शैम्पू और पैकबंद चार मगज बीजों का रूप दिया जाता है।

अन्य मूल्य वर्धित उत्पाद जिन्हें कोरापुट, रायगडा और सुंदरगढ़ जिलों में वन धन विकास केंद्र क्लस्टर में संसाधित किया जाएगा, उनमें इमली का केक, महुआ का तेल, जैविक पैक चावल, नीम का तेल, नीम का केक,  चिरोंजी और हल्दी पाउडर शामिल हैं।

TextDescription automatically generated
A group of people standing in front of a green tentDescription automatically generated with low confidence
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003MOEE.png
A large pile of pineapplesDescription automatically generated with low confidence
A group of people seated in a roomDescription automatically generated with low confidence
A picture containing dishDescription automatically generated

कई अन्य पहलों के बीच, जनजातीय कार्य मंत्रालय की संस्था ट्राइफेड ने रोजगार और आय सृजन करने के लिए वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप प्रोग्राम भी लागू किया है। यह वो व्यवस्था है जहां लघु वनो पाद की मार्केटिंग का एक तंत्र तैयार किया गया है और जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य और लघु वनो पाद के लिए वैल्यू चेन के विकास से मदद की जाती है।

वन धन आदिवासी स्टार्ट-अप भी इसी योजना का एक घटक है और यह वो कार्यक्रम है जहां वन धन केंद्रों को स्थापित कर लघु वनो पाद की मूल्य संवर्धन, ब्रैंडिंग और मार्केटिंग की जाती है ताकि वन-आधारित जनजातियों के लिए स्थायी आजीविका तैयार की जा सके।

पिछले 18 महीनों में वन धन विकास योजना ने पूरे भारत में राज्य स्तरीय नोडल और कार्यान्वयन एजेंसियों की सहायता प्राप्त से तमाम प्रकियाओं को तुरंत और प्रभावी तरीके से लागू किया है।

ओडिशा में इन वन धन विकास केंद्र क्लस्टर्स के मजबूत होने और उत्पादन शुरू करने से इस पूर्वी राज्य की जनजातियों तक इस कार्यक्रम की पहुंच बढ़ेगी जिससे लोगों का जीवन स्तर और आजीविका में सुधार होगा।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »