जनवरी 2017 में, भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रतीक्षित मेडिकल डिवाइस नियम को जारी किया। यह 1 जनवरी, 2018 से प्रभावी हुआ। बताना चाहेंगे कि क्रियान्वयन के बाद, इस विनियमन की वजह से चिकित्सा उपकरणों की लाइसेंसिंग में कई बड़े बदलाव आए। भारतीय उद्योग की जरूरतों के समाधान के लिए एक सक्रिय और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आठ विनियमित चिकित्सा उपकरण की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 18 अप्रैल 2021 एक अहम फैसला लिया है। चिकित्सा उपकरण नियम (2017) के तहत उनके नियामक आदेश को लागू करते हुए केन्द्रीय सरकार ने इन मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला की निरंतरता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 6 महीने के स्थानांतरण समय को मंजूरी दे दी है।
1 अप्रैल को आठ उपकरणों को किया गया था अधिसूचित
इस आदेश के अनुसार अगर मेडिकल उपकरणों के आयात या विनिर्माण में लगे मौजूदा आयातक या विनिर्माता ने अगर पहले ही एमडीआर, 2017 के प्रावधानों के तहत, उपकरण (या उपकरणों) के संबंध में आयात/ विनिर्माण लाइसेंस के लिए आवेदन जमा कर दिया है, तो आवेदन को वैध माना जाएगा और आयातक/ विनिर्माता इस आदेश के जारी होने के 6 महीने तक या स्थिति के आधार पर केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण या राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा संबंधित आवेदन पर फैसला लेने तक आयात या विनिर्माण जारी रख सकता है। मंत्रालय ने पूर्व में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत निम्नलिखित उपकरणों को अधिसूचित किया था, जो 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी हो गया था।
1.सभी प्रत्योरोपित होने वाले चिकित्सा उपकरण;
2.सीटी स्कैन उपकरण;
3.एमआरआई उपकरण;
4.डेफिब्रिलेटर;
- पीईटी उपकरण;
- डायलिसिस मशीन;
- एक्स-रे मशीन; और
- बोन मैरो (अस्थि मज्जा )सेल सेपरेटर
1 अप्रैल, 2021 के बाद से लाइसेंसिंग अथॉरिटी से आयात / विनिर्माण लाइसेंस लेना हो गया आवश्यक
नई विनियामकीय व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने के दौरान, इन चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह फैसला लिया है। इस संबंध में भारत के औषध महानियंत्रक ने सीडीएससीओ की वेबसाइट के माध्यम से 18 अप्रैल, 2021 को आदेश जारी कर दिया है। उक्त आदेश के द्वारा आयातकों / निर्माताओं को उपरोक्त उपकरणों के आयात / निर्माण के लिए 1 अप्रैल, 2021 के बाद से सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी या स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी से आयात / विनिर्माण लाइसेंस लेना आवश्यक कर दिया गया है।
चिकित्सा उपकरण नियम 2017 के प्रावधान
भारत के चिकित्सा उपकरण नियम 2017 के ये आठ प्रावधान हैं:
- चिकित्सा उपकरणों और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स के उपयोग और जोखिम स्तर के संकेतों के आधार पर चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है वर्गीकृत
- ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया करते हैं डिवाइस वर्गीकरण को निर्धारित
- सभी नए क्लास सी और डी चिकित्सा उपकरणों के लिए निरीक्षण आवश्यक हैं
- सभी प्रस्तावित चिकित्सा उपकरण प्रदर्शन मानकों के अनुरूप होने चाहिए
- हर कार्य का है एक निर्धारित टाइमलाइन
- दिए गए लाइसेंस होते हैं स्थाई
- प्रमुख चिकित्सा उपकरण परिवर्तनों के लिए पूर्व अनुमोदन है आवश्यक
- क्लिनिकल डायग्नोस्टिक फ्रेमवर्क है शामिल