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Wednesday, June 25, 2025

नक्सलियों के गढ़ में लोकतंत्र की आवाज बुलंद करती 21 साल की महिला सरपंच

अक्सर लोग पढ़ लिख कर नौकरी की तलाश में गांव छोड़कर शहर की ओर रुख करते हैं, लेकिन अगर सभी ऐसा करने लगे तो गांव के विकास की ओर कौन ध्यान देगा। दरअसल, ये कहना है भाग्यश्री मनोहर लेकामी का, इसलिए उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी गांव में रहकर ही विकास करने का फैसला किया।

नक्सलियों के गढ़ में 21 साल की महिला सरपंच

21 साल की भाग्यश्री लेकामी महाराष्ट्र के भाव नगर तहसील में मौजूद कोटि ग्राम पंचायत की सदस्य हैं। कोटि गांव महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर मौजूद है। लाल आतंक के गढ़ और मुंबई से करीब दो हजार किमी दूर नौ गांव की कोटि ग्राम पंचायत में बीते कई सालों तक कभी सरपंच निर्वाचित नहीं हुआ। नक्सलियों के डर से न तो लोग चुनाव में नामांकन भरते हैं और न ही मतदान करते हैं।

लेकिन 2019 में इन गांव ने लोकतंत्र की पहली सीढ़ी चढ़ते हुए अपने गांव में सरपंच का चयन किया, जिसके लिए गांव की पढ़ी लिखी, उच्च शिक्षित 21 साल की भाग्यश्री लेकामी को चुना गया। आम बच्चों की तरह भाग्यश्री भी बड़े शहर में जा कर अपना करियर बनाना चाहती थी। लेकिन समस्याओं से जकड़े गांव को बाहर निकालने के लिए उन्होंने गांव में रहकर काम करने का निर्णय किया।

गांव की तस्वीर बदलने की कर रही कोशिश

अब तक भाग्यश्री अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर चुकी हैं और इन दो सालों में अपने गांव की तस्वीर बदलने की पुरजोर कोशिश की है। सीमेंट की छोटी और पक्की सड़कें हों या फिर पानी की समस्या वो अपना पूरा समय गांव के विकास में लगाती हैं। रोजगार का अभाव और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी गांव की सबसे बड़ी समस्या है, जिसे सुलझाने के लिए भाग्यश्री दिन-रात मेहनत कर रही हैं।

इसी बीच महिलाओं के स्वास्थ्य और माहवारी से संबंधित बीमारियों के लिए काम करना भी भाग्यश्री ने अपने एजेंडे में प्रमुख रूप से रखा है। उन्होंने महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड की उपलब्धता को सुनिश्चित किया है।

लोगों से खुद सीधे जुड़ती हैं भाग्यश्री

भाग्यश्री के ग्राम पंचायत में कुल 9 गांव हैं, एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए जंगलों की कच्ची सड़कों से होकर गुजरना पड़ता है। गांव में जाकर सीधे लोगों से जुड़ने के लिए भाग्यश्री हर दिन बाइक पर सवार होकर घंटो घूमती हैं। कई गांव में जाने के लिए नदियों के बीच से चल कर या ज्यादा पानी होने पर नाव में सवार होकर जाती हैं।

नक्सल प्रभावित है पूरा इलाका

वैसे कोटि ग्राम पंचायत का पूरा इलाका नक्सल समस्या से ग्रस्त है, पिछले कई सालों में इन गांव में नक्सली मुठभेड़, आईईडी ब्लास्ट, पुलिस पर जानलेवा हमले जैसी कई खतरनाक वारदातें हो चुकी हैं। ऐसे में हर दिन, हर कदम पर खतरा बना रहता है, बावजूद इसके भाग्यश्री निडर होकर अकेली गांव में घूमती हैं और लोगों से संवाद करती हैं।

अपने पुरुष साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती और बिना किसी भय के अपने गांव गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ती भाग्यश्री लेकामी अनेक लोगों के लिए आज प्रेरणा की स्त्रोत हैं।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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