‘भारत की सैन्य गतिविधियों (Indian Army) और तकनीकों से दक्षिण एशिया (South Asia) में रणनीतिक स्थिरता का खतरा है. जिस तरह भारत तकनीक के साथ साज़िश कर रहा है, वो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के हिसाब से भी गलत है…’ पाकिस्तान विदेश मंत्रालय (Pakistan Foreign Ministry) की इस बौखलाहट की वजह और मायने क्या हैं? ये तो आप जानते हैं कि चीन की गोद में बैठ चुका पाकिस्तान (China and Pakistan) भारत के खिलाफ कोई साज़िश करने से कभी चूका नहीं है. अब जबकि चीन के साथ सीमा पर तनाव (Border Tension) की स्थिति में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध (India-Us Defense Ties) और मज़बूत हुए हैं तो पाकिस्तान के छक्के क्यों छूट रहे हैं?
पिछले ही दिनों भारत दौरे पर अमेरिकी राजनयिकों ने भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में जो BECA समझौता किया है, उसके मुताबिक दोनों देशों के बीच डेटा शेयरिंग होगी, जिसमें नक्शे, समुद्री और हवाई चार्ट, व्यावसायिक और अनक्लासीफाइड तस्वीरें, भौगोलिक स्थितियों व गतिविधियों से जुड़ा कई तरह का डेटा साझा किया जाएगा कहा गया कि भारत दौरे पर अमेरिकी राजनयिकों ने चीन को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जानिए कि इस पूरे घटनाक्रम से पाकिस्तान क्या खतरा किस तरह भांप रहा है और भारत के हाथ क्या कुछ लग रहा है.
पाकिस्तान की बौखलाहट क्या है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी और अमेरिका के गृह सचिव माइक पॉम्पियो ने भारत दौरे पर BECA को लेकर खुले तौर पर कहा कि यह सभी तरह के खतरों के खिलाफ एक मज़बूत साझा कदम है, जो सिर्फ चीन के खिलाफ नहीं है. इसके बाद सीधे तौर पर बात पाकिस्तान के साथ जुड़ गई क्योंकि दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा दुश्मन भी वही है और चीन का सबसे बड़ा गढ़ व कठपुतली भी.
अब पाकिस्तान को डर है कि अमेरिका के साथ मिलकर भारत उसके गोपनीय नक्शों, दस्तावेज़ों को तो हासिल करेगा ही, पाकिस्तान पर निगरानी भी रख सकेगा. पाकिस्तानी राजनीतिक अब्दुल रहमान मलिक के हवाले से एक कि यह पाकिस्तान के लिए ‘गंभीर खतरे’ की स्थिति है. मलिक के मुताबिक पाक और चीन पर उच्च तकनीक से नज़र रखने का यह तरीका अस्ल में छुपकर जासूसी करने जैसा है.
मलिक ने दावा किया कि चार साल पहले ही उन्होंने इस खतरे की चेतावनी दी थी कि भारतीय उपग्रहों के ज़रिये भारत और अमेरिका मिलकर पाकिस्तान की जासूसी कर रहे थे और तब इन सैटेलाइटों से मौसम डेटा लेने का बहाना बनाया गया था. मलिक ने इसे पाकिस्तान की आंतरिक व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है.
क्या वाकई पाक को है खतरा?
एक तरफ मलिक का साफ आरोप है कि गुपचुप ढंग से बीते एक दशक में भारत और अमेरिका ने मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ काफी सैटेलाइट डेटा जुटाया है तो दूसरी तरफ, ऐसे विशेषज्ञ भी हैं जो ऐसा नहीं मानते. उनका कहना है कि अफगान तालिबान मुद्दा हो या कुछ और मामले, पाकिस्तान और अमेरिका भी सहयोगी देश हैं इसलिए अमेरिका ऐसा कुछ नहीं करेगा, जिससे पाकिस्तान के साथ उसके संबंध खराब हो जाएं.
वॉशिंग्टन सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी में विशलेषण कामरान बुखारी के हवाले से कि पाकिस्तान से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं भारत को देने का अमेरिका का इरादा नहीं होगा क्योंकि इससे दक्षिण एशिया में एक और तनाव पैदा होगा, जो फिलहाल अफगान तालिबान समस्या को हल करने में अड़चन ही साबित होगा. लेकिन अमेरकी उपग्रहों से जुटा पाकिस्तान का संवेदनशील डेटा भारत के हाथ लगेगा या नहीं, इस पर विशेषज्ञ निश्चित नहीं कह पा रहे क्योंकि इस वक्त अमेरिका और चीन बड़े दुश्मन हैं और पाकिस्तान पूरी तरह से चीन की तरफ दिखा है.
बहरहाल, पाकिस्तान की तरफ से मलिक ने चिंता जताकर ये तक कह दिया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इस बढ़ते असंतुलन पर नज़र रखनी चाहिए, जो युद्ध का कारण भी बन सकता है.