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Friday, June 27, 2025

होंडा की गाड़ियों में गड़बड़ी के चलते कंपनी को 77 हजार से ज्यादा कार वापस मंगानी पड़ रही

होंडा की गाड़ियों में गड़बड़ी के चलते कंपनी को 77 हजार से ज्यादा कार वापस मंगानी पड़ रही है। इन गाड़ियों के फ्यूल पंप में खामी पाई गई है। होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड (HCIL) ने देशभर में गाड़ियों को रिकॉल किया है। देशभर में स्थित कंपनी की डीलरशिप पर इस कमी को मुफ्त में ठीक किया जा रहा है। इसकी शुरुआत 17 अप्रैल 2021 से हुई है। कंपनी की मानें तो प्रभावित गाड़ियों के मालिकों को एक-एक कर संपर्क किया जा रहा है। 

क्या है खामी

आधिकारिक बयान के मुताबिक, कंपनी की कुछ गाड़ियों में जो फ्यूल पंप लगाए गए हैं, उनके इम्पेलर में कमी पाई गई है। इसकी वजह से कई बार इंजन बंद पड़ जाता है और कार स्टार्ट नहीं होती। बता दें कि फ्यूल पंप का काम फ्यूल टैंक से ईंधन को फ्यूल लाइन में भेजने का होता है। इसके बाद फ्यूल इंजेक्टर को भेजा जाता है और आखिरी में कम्बश्न चैंबर में पहुंचता है। इस बीच इम्पेलर वैक्यूम तैयार करके पंप में फ्यूल को फैलने में मदद करता है। यानी इम्पेलर में खामी की वजह से फ्यूल सही प्रकार प्रभाहित नहीं होगा और इंजन बंद पड़ जाता है। 

यह है पूरी लिस्ट

होंडा की जिन गाड़ियों में खामी पाई गई है, उनमें Amaze, 4th gen City, WR-V, Jazz, Civic, BR-V और CR-V शामिल हैं। प्रभावित गाड़ियों को 2019 और 2020 में तैयार किया गया था। सबसे ज्यादा संख्या Honda City और Honda Amaze की है। लिस्ट की बात करें तो 36,086 गाड़ियां होंडा अमेज, 20,248 गाड़ियां होंडा सिटी, 7,871 गाड़ियां होंडा WR-V, 6,235 गाड़ियां होंडा जैज़, 5,170 गाड़ियां होंडा सिविक, 1,737 गाड़ियां होंडा BR-V, और 607 गाड़ियां होंडा CRV रही हैं। इस तरह कुल गाड़ियों की संख्या 77,954 है। 

ऐसे चेक करें आपकी गाड़ी लिस्ट में है या नहीं

बता दें कि लिस्ट की आधे से अधिक गाड़ियां ऐसी हैं जिनकी बिक्री कंपनी ने अब बंद कर दी है। इसके साथ ही होंडा सिटी की भी अब कंपनी पांचवी जेनरेशन की बिक्री कर रही है। अगर आप होंडा ग्राहक हैं और जानना चाहते हैं कि आपकी कार प्रभावित है या नहीं तो इसके लिए आपको कंपनी की वेबसाइट पर जाकर अपना 17 अंकों का VIN (व्हीकल आइडेंटिटी नंबर) दर्ज करना होगा। 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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