जगदलपुर, 12 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में विकास की नई लहर दौड़ पड़ी है। गुरुवार को जगदलपुर में आयोजित ‘बस्तर इन्वेस्टर कनेक्ट’ कार्यक्रम में देश के प्रमुख उद्योगपतियों ने 967 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव पेश किए, जो स्वास्थ्य, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में केंद्रित हैं। इन प्रस्तावों से 2100 से ज्यादा स्थानीय युवाओं को प्रत्यक्ष रोजगार का अवसर मिलेगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अगुवाई में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य सरकार ने बस्तर और आसपास के नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए कुल 52,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की घोषणा की। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी हिस्सेदारी एनएमडीसी की 43,000 करोड़ रुपये की खनन परियोजनाओं की है। इसके अलावा, रेलवे ने 5,200 करोड़ और सड़क विकास पर 2,300 करोड़ रुपये का निवेश स्वीकृत किया है। निजी क्षेत्र से सेवा क्षेत्र व एमएसएमई में करीब 1,000 करोड़ का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम साय ने कहा, “बस्तर अब नक्सलवाद की छाया से बाहर आकर निवेश और अवसरों का केंद्र बन रहा है। हमारी सरकार ने इसे मुख्यधारा से जोड़ने का संकल्प लिया है, और ये परियोजनाएं स्थानीय युवाओं व महिलाओं को सशक्त बनाएंगी।” उन्होंने बताया कि नवीन औद्योगिक नीति 2024-30 के तहत फार्मा, एग्रो-प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल, आईटी, डिफेंस और डिजिटल तकनीक को प्राथमिकता दी गई है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने से ईको-टूरिज्म व वेलनेस प्रोजेक्ट्स पर 45 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध होगी। नक्सल प्रभावित परिवारों के उद्यमियों को अतिरिक्त प्रोत्साहन भी सुनिश्चित किया गया है।
बस्तर की कनेक्टिविटी मजबूत करने वाली रेल व सड़क परियोजनाओं पर विशेष जोर दिया गया। रावघाट-जगदलपुर रेल लाइन, केके रेल लाइन का दोहरीकरण और वैकल्पिक सड़क मार्गों से कांकेर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा व बीजापुर जैसे जिलों तक सुरक्षित पहुंच आसान हो जाएगी। इनसे न केवल यात्रा व व्यापार में तेजी आएगी, बल्कि औद्योगिक अवसर भी बढ़ेंगे।
स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा निवेश हो रहा है। जगदलपुर में पहली बार 350 बेड का मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल व मेडिकल कॉलेज स्थापित होगा, जिसके लिए 550 करोड़ रुपये खर्च होंगे और 200 नौकरियां सृजित होंगी। इसके अलावा, 200 बेड के दो अन्य अस्पताल, फूड प्रोसेसिंग इकाइयां, राइस मिल, डेयरी फार्म व वेलनेस-हॉस्पिटैलिटी प्रोजेक्ट्स भी प्रस्तावित हैं। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के लिए 200 करोड़ अलग से आवंटित हैं।
नक्सल उन्मूलन की दिशा में बस्तर ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। पिछले 20 महीनों में 453 नक्सली मुठभेड़ में ढेर हुए, 1,611 गिरफ्तार हुए और 1,636 ने आत्मसमर्पण किया। 65 से अधिक नए सुरक्षा कैंप स्थापित हुए, जबकि 50 से ज्यादा बंद स्कूल फिर से चालू हो चुके हैं। “नियद नेल्ला नार” योजना के तहत सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व संचार सुविधाएं दूरस्थ गांवों तक पहुंचाई जा रही हैं।
आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास के लिए नई नीति लागू की गई है। इसमें तीन वर्षों तक 10,000 रुपये मासिक सहायता, शहरी क्षेत्रों में जमीन, व्यावसायिक प्रशिक्षण व सामूहिक आत्मसमर्पण पर दोगुना इनाम शामिल है। नक्सल-मुक्त गांवों के लिए 1 करोड़ रुपये तक की विकास योजनाएं स्वीकृत होंगी। सरकार ने मार्च 2026 तक बस्तर को नक्सल-मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है।
कुल मिलाकर, ये प्रयास बस्तर को सुरक्षा चुनौतियों से ऊपर उठाकर विकास की मुख्यधारा में ला रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन परियोजनाओं से क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की नई कहानी लिखी जाएगी।