नई दिल्ली, 23 अगस्त 2025: विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने देश में लोकतंत्र की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि भारत में “लोकतंत्र का अभाव” है और संविधान चुनौतियों से घिरा हुआ है। पूर्व न्यायाधीश रेड्डी ने शनिवार को एक निजी समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में यह बात कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि वह इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर चुने जाते हैं, तो संविधान की रक्षा और संरक्षण के लिए पूरी तरह समर्पित रहेंगे।
लोकतंत्र में गतिरोध चिंताजनक
गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रेड्डी ने कहा कि संसद में गतिरोध लोकतंत्र का हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसे स्थायी रूप नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “पहले घाटे वाली अर्थव्यवस्था की बात होती थी, लेकिन अब ‘लोकतंत्र का अभाव’ (डेफिसिट इन डेमोक्रेसी) है।” रेड्डी ने भारत को संवैधानिक लोकतंत्र बताते हुए चेतावनी दी कि यह “मुश्किल में” है। उन्होंने संविधान पर हो रहे कथित हमलों पर खुली चर्चा का स्वागत किया।
संविधान की रक्षा मेरी प्राथमिकता
रेड्डी ने कहा कि उनकी यात्रा हमेशा से संविधान की रक्षा के लिए रही है, जो एक न्यायाधीश के रूप में उनकी शपथ का हिस्सा थी। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए नई बात नहीं है। अगर मुझे उपराष्ट्रपति के रूप में अवसर मिलता है, तो यह यात्रा संविधान के संरक्षण और बचाव में और मजबूत होगी।”
विवादों पर भी बोले रेड्डी
सुदर्शन रेड्डी ने संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों पर चल रही बहस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नक्सलवाद समर्थन के आरोपों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र विचारों के टकराव से मजबूत होता है, न कि व्यक्तियों के बीच टकराव से। सरकार और विपक्ष के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत पर भी उन्होंने जोर दिया।
रेड्डी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश में संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर बहस तेज हो रही है। उनकी उम्मीदवारी और विचार इस चुनाव को और भी महत्वपूर्ण बना रहे हैं।