नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025: देश की राजधानी में आज वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ियों को लेकर सियासी घमासान चरम पर पहुंच गया। विपक्षी दलों के सांसदों ने ‘वोट चोरी’ के खिलाफ संसद भवन के मकर द्वार से चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च निकाला, लेकिन दिल्ली पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर इसे रोक दिया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, टीएमसी सांसद सागरिका घोष, महुआ मोइत्रा समेत कई विपक्षी नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
मार्च में जोश, बैरिकेड पर उफान
सुबह 11:30 बजे विपक्षी सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग की ओर कूच शुरू किया। मार्च में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, डीएमके और आम आदमी पार्टी सहित इंडिया गठबंधन के तमाम दिग्गज शामिल थे। सांसदों ने सफेद टोपियां पहनी थीं, जिन पर ‘एसआईआर’ और ‘वोट चोरी’ के खिलाफ लाल क्रॉस के निशान बने थे। कुछ सांसदों के हाथों में ‘Why EC Destroying Video Evidence’ और ‘We Want Justice’ जैसे नारे लिखे प्लेकार्ड भी थे।
हालांकि, दिल्ली पुलिस ने मार्च को चुनाव आयोग मुख्यालय पहुंचने से पहले ही रोक दिया। पुलिस का कहना था कि इस प्रदर्शन के लिए कोई औपचारिक अनुमति नहीं ली गई थी। बैरिकेडिंग के सामने सांसदों का जोश उफान पर था। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बैरिकेड फांदकर आगे बढ़ने की कोशिश की, जबकि टीएमसी सांसद सागरिका घोष और महुआ मोइत्रा बैरिकेड्स पर चढ़ गईं। कांग्रेस सांसद ज्योतिमणि और संजना जाटव ने भी बैरिकेड्स पर चढ़कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
हिरासत में नेता, धरने पर विपक्ष
जैसे ही मार्च ने उग्र रूप लिया, दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और अन्य सांसदों को हिरासत में ले लिया। नेताओं को बस में बिठाकर ले जाया गया। इससे पहले, अखिलेश यादव सहित कई सांसद बैरिकेड्स के सामने धरने पर बैठ गए।
पुलिस की कार्रवाई के बीच राहुल गांधी ने जोर देकर कहा, “यह राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि संविधान और ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत को बचाने की जंग है। हम साफ-सुथरी मतदाता सूची चाहते हैं।” प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “ये लोग डरे हुए हैं। सरकार कायर है।”
वोटर लिस्ट विवाद की पृष्ठभूमि
विपक्ष का यह मार्च बिहार और कर्नाटक में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के विरोध में था। राहुल गांधी ने हाल ही में बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के आंकड़े पेश करते हुए दावा किया था कि 1,00,250 वोटों की चोरी हुई, जिससे भाजपा को फायदा पहुंचा। विपक्ष का आरोप है कि SIR प्रक्रिया के जरिए गरीब, प्रवासी और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को निराधार बताया और विपक्षी नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया था।
सियासी तापमान चढ़ा, आगे क्या?
चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों के 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को आज दोपहर 12 बजे बैठक के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन मार्च के दौरान हिरासत की कार्रवाई ने माहौल को और गरमा दिया। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह विवाद संसद के अंदर और बाहर और तीखा होगा या चुनाव आयोग कोई ठोस कदम उठाएगा। यह मुद्दा न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में आगामी चुनावों से पहले एक बड़े सियासी मुद्दे के रूप में उभर रहा है।