हरसिल/धराली, 11 अगस्त 2025: उत्तराखंड के हरसिल और धराली में चल रहे मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) अभियानों में भारतीय सेना की विशेष श्वान टीमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR), ज़ेवर रडार और टोही रडारों के साथ समन्वय करते हुए ये प्रशिक्षित कुत्ते खोज और बचाव कार्यों में अहम योगदान दे रहे हैं।
सेना की श्वान इकाई में शामिल छह कुत्ते—ओपना(4 वर्ष), जानसी (3.5 वर्ष), सारा (4.5 वर्ष), जून (7 वर्ष), राही (8 वर्ष) और हेज़ल (4 वर्ष)—पिछले तीन दिनों से चुनौतीपूर्ण इलाकों में सक्रिय हैं। ये कुत्ते 30-35 मिनट के कार्य चक्र में खोज करते हैं, जिसके बाद 10 मिनट का विश्राम लेते हैं। तीन घंटे की निरंतर खोज के बाद इन्हें डेढ़ घंटे का आराम और भोजन दिया जाता है।
उच्च प्रशिक्षित ये श्वान 15-18 फीट की गहराई तक गंध का पता लगाने में सक्षम हैं, जिससे मलबे में दबे लोगों का पता लगाने में मदद मिल रही है। सेना के अधिकारियों के अनुसार, इन कुत्तों की तैनाती से बचाव कार्यों की गति और प्रभावशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
स्थानीय प्रशासन और सेना के संयुक्त प्रयासों के बीच ये श्वान टीमें आपदा प्रभावित क्षेत्रों में उम्मीद की किरण बनकर उभरी हैं।