वाराणसी, 09 अगस्त 2025: वाराणसी पुलिस ने साइबर क्राइम के खिलाफ जंग में नया मोर्चा खोल दिया है। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने शुक्रवार देर रात तीनों जोन की अपराध समीक्षा बैठक में सनसनीखेज ऐलान किया: अब थाना प्रभारी बनने के लिए ‘साइट्रेन’ के तीन मॉड्यूल—रिस्पांडर ट्रैक, फॉरेंसिक ट्रैक और इन्वेस्टिगेटर ट्रैक—का सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा।
सभी राजपत्रित अधिकारियों और थाना प्रभारियों को 15 दिन के भीतर यह साइबर क्राइम ट्रेनिंग पूरी करनी होगी, वरना उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। कमिश्नर ने साफ कहा, “केवल साइबर-जागरूक और प्रशिक्षित अधिकारी ही फील्ड में तैनात होंगे।” यह कदम बढ़ते साइबर अपराधों पर लगाम लगाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
सख्ती का नया दौर
बैठक में साइबर क्राइम के साथ-साथ अन्य अपराधों पर भी कड़ा रुख अपनाया गया। गौतस्करों पर गैंगस्टर एक्ट, वाहन उपलब्ध कराने वालों को सह-अभियुक्त बनाने, नकबजनी गिरोहों की संपत्ति जब्त करने, अकेले चोरी-लूट करने वालों को हिस्ट्रीशीटर घोषित करने और लूट के आरोपियों पर गुंडा एक्ट लागू करने के निर्देश दिए गए।
शहर को अतिक्रमण मुक्त करने की मुहिम
कमिश्नर ने अतिक्रमण हटाने के लिए तेज अभियान चलाने और नगर निगम के साथ मिलकर जल्द वेंडिंग जोन शुरू करने का आदेश दिया। इसके अलावा, हर शुक्रवार को साप्ताहिक अपराध समीक्षा बैठक होगी, ताकि अपराधों पर नकेल कसी जा सके।
कौन-कौन रहा मौजूद?
बैठक में अपर पुलिस आयुक्त शिवहरी मीणा, राजेश सिंह, डीसीपी काशी गौरव बंसवाल, डीसीपी वरुणा प्रमोद कुमार, डीसीपी गोमती आकाश पटेल, एडीसीपी काशी सरवणन टी. समेत सभी एडीसीपी और एसीपी शामिल थे।
वाराणसी पुलिस का यह नया कदम न केवल साइबर अपराधों पर लगाम लगाएगा, बल्कि शहर में कानून-व्यवस्था को और मजबूत करेगा। अब देखना यह है कि 15 दिन में कितने दरोगा ‘साइबर सर्टिफाइड’ बनकर थाने की कमान संभालते हैं!