जबलपुर, मध्य प्रदेश, 8 अगस्त 2025: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में एक ऐसी खोज हुई है, जो न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल्कि पूरे राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है। जिले के महगवां केवलारी गांव में भूवैज्ञानिकों ने विशाल सोने के भंडार की खोज की है, जिससे इस क्षेत्र के निवासियों में उम्मीद की नई किरण जगी है।

लंबे समय से चले आ रहे भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों के बाद विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली इस भूमि के नीचे कई टन सोना दबा हो सकता है। खनन मंत्रालय के अनुसार, मध्य प्रदेश अब कर्नाटक, झारखंड और राजस्थान जैसे राज्यों की सूची में शामिल हो गया है, जहां सोने के भंडार मौजूद हैं। जबलपुर, जो पहले से ही लौह अयस्क, मैंगनीज और संगमरमर जैसे खनिजों के लिए जाना जाता है, अब सोने की खोज के साथ वैश्विक पटल पर अपनी पहचान और मजबूत करने को तैयार है।
आर्थिक समृद्धि का नया दौर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस खोज से न केवल जबलपुर, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश की आर्थिक तस्वीर बदल सकती है। अगर खुदाई और खनन कार्य योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ा, तो यह क्षेत्र भारत के प्रमुख स्वर्ण उत्पादक केंद्रों में शुमार हो सकता है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और अंतरराष्ट्रीय खनिज बाजार में भारत की स्थिति और सशक्त होगी।

ग्रामीणों में उत्साह, सरपंच ने जताई उम्मीद
महगवां केवलारी गांव के पूर्व सरपंच सुभाष पटेल ने कहा, “मैंने अपने कार्यकाल में इस क्षेत्र की संभावनाओं को उजागर करने की कोशिश की थी। अब सोने की खोज ने हमारी मेहनत को सार्थक कर दिया है।” वहीं, वर्तमान सरपंच रामराज पटेल ने उत्साह जताते हुए कहा, “हमारे गांव की किस्मत अब पलटने वाली है। हम चाहते हैं कि सरकार खनन के साथ-साथ गांव के समग्र विकास पर भी ध्यान दे।”

निवेशकों की नजर इस क्षेत्र पर
जबलपुर के सिहोरा, कटनी और आसपास के क्षेत्रों की मिट्टी और भौगोलिक संरचना खनन के लिए हमेशा से अनुकूल रही है। यही वजह है कि कई उद्यमी इस क्षेत्र में निवेश के लिए उत्सुक हैं। सोने की खोज के बाद अब निवेशकों का रुझान और बढ़ने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि खनन कार्य शुरू होने पर यह क्षेत्र न केवल आर्थिक रूप से समृद्ध होगा, बल्कि वैश्विक खनिज बाजार में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएगा।
फिलहाल, वैज्ञानिकों और सरकारी अधिकारियों की निगरानी में इस क्षेत्र में और गहन सर्वेक्षण और मूल्यांकन का काम जारी है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो महगवां केवलारी गांव जल्द ही भारत के नक्शे पर ‘सोने का गांव’ के रूप में चमकेगा।