नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025: भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 25% अतिरिक्त टैरिफ के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। विदेश मंत्रालय ने इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और असंगत” करार देते हुए कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। इस फैसले के बाद भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया है, जो 7 अगस्त से लागू होगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “भारत की ऊर्जा आयात नीतियां बाजार की परिस्थितियों और 1.4 अरब नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। अमेरिका का यह कदम दुर्भाग्यपूर्ण है, खासकर जब कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हितों के लिए समान कदम उठा रहे हैं।” मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत इन टैरिफ को अपने हितों के खिलाफ मानता है और इसका जवाब देने के लिए तैयार है।
ट्रंप का आरोप, भारत का पलटवार
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क को जायज ठहराते हुए कहा कि यह भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए “दुनिया के सबसे ऊंचे” टैरिफ और रूस के साथ व्यापार के जवाब में है। ट्रंप ने भारत की BRICS में सक्रिय भागीदारी और रूस से तेल खरीद को “अमेरिका-विरोधी” कदम बताते हुए इसे दंडित करने की बात कही।
जवाब में भारत ने दो टूक कहा कि उसकी ऊर्जा नीतियां राष्ट्रीय आवश्यकताओं पर आधारित हैं, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा। विदेश मंत्रालय ने पहले भी इस तरह की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा था, “जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे स्वयं रूस से व्यापार कर रहे हैं, लेकिन उनकी जरूरतें हमारी तरह अनिवार्य नहीं हैं।”
50% शुल्क का बोझ, भारत पर दबाव
ट्रंप ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त शुल्क लागू किया, जिसके बाद कुल शुल्क 50% हो गया है। यह आदेश 7 अगस्त से प्रभावी होगा, जबकि अतिरिक्त शुल्क 21 दिन बाद लागू होगा। ट्रंप ने पिछले सप्ताह इसकी घोषणा करते हुए कहा था कि भारत द्वारा रूस से तेल और गैस खरीदना यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है, जिसे वह बर्दाश्त नहीं करेंगे।
भारत की रणनीति
विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया कि भारत इस मामले में जवाबी कार्रवाई पर विचार कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इस मुद्दे को उठा सकता है या अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगा सकता है। यह विवाद भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में नई तनातनी का कारण बन सकता है।
इस घटनाक्रम पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता रहेगा, और इस दिशा में कोई भी कदम उठाने से नहीं हिचकेगा।