उत्तरकाशी, 5 अगस्त 2025: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के हर्षिल घाटी में स्थित धराली गांव में मंगलवार, 5 अगस्त को बादल फटने की एक दुखद और विनाशकारी घटना ने भारी तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा ने गांव के कई घरों, होटलों और दुकानों को मलबे में तब्दील कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना जताई और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।

बादल फटने से मची तबाही
उत्तरकाशी के धराली गांव, जो गंगोत्री धाम के रास्ते में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, मंगलवार दोपहर लगभग 1:45 बजे उस समय आपदा की चपेट में आ गया, जब खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। तेज बहाव के साथ आए पानी और मलबे ने धराली बाजार और आसपास के क्षेत्र को पूरी तरह तबाह कर दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, 20-25 होटल और होमस्टे पूरी तरह नष्ट हो गए, जबकि कई लोग मलबे में दबे हो सकते हैं।

घटना के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें पहाड़ों से तेजी से बहता पानी और मलबा घरों को बहाकर ले जाता दिखाई दे रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि महज 20-30 सेकंड में पूरा गांव जलमग्न हो गया, जिससे लोगों में भय और अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

प्रधानमंत्री का संवेदनशील रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “उत्तरकाशी के धराली में हुई इस त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। इसके साथ ही सभी पीड़ितों की कुशलता की कामना करता हूं।” उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया। पीएम ने कहा कि प्रभावित नागरिकों को शीघ्र राहत पहुंचाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

केंद्र और राज्य सरकार का त्वरित एक्शन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “धराली (उत्तरकाशी) क्षेत्र में बादल फटने से हुए भारी नुकसान का समाचार अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है।” उन्होंने बताया कि राहत और बचाव कार्यों के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), जिला प्रशासन और सेना की टीमें युद्धस्तर पर काम कर रही हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री धामी से बात कर स्थिति का जायजा लिया और केंद्र की ओर से तत्काल सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की तीन टीमें और NDRF की चार टीमें घटनास्थल पर रवाना की गई हैं। भारतीय सेना ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए 150 जवानों को राहत कार्यों के लिए तैनात किया, जिन्होंने 10 मिनट के भीतर मौके पर पहुंचकर 15-20 लोगों को सुरक्षित निकाला। घायलों को हर्षिल में सेना के मेडिकल सेंटर में प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है।

स्थानीय प्रशासन की सक्रियता
उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट प्रशांत आर्य ने पुष्टि की कि इस हादसे में चार लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 50 लोग लापता हैं। उन्होंने बताया कि भारी बारिश और खराब मौसम के कारण राहत कार्यों में चुनौतियां आ रही हैं, लेकिन टीमें पूरी तत्परता से काम कर रही हैं। जिला प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर 01374-222126 और 9456556431 जारी किए हैं, ताकि प्रभावित लोग सहायता मांग सकें।

उत्तराखंड पुलिस ने भी लोगों से नदी किनारों से दूर रहने और अपने बच्चों व मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की अपील की है। गंगोत्री धाम का जिला मुख्यालय से संपर्क टूटने के कारण चारधाम यात्रा पर भी असर पड़ा है, और तीर्थयात्रियों को फिलहाल धराली से आगे बढ़ने से रोका गया है।

मौसम विभाग की चेतावनी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड के कई जिलों, जिसमें उत्तरकाशी, देहरादून, टिहरी, और नैनीताल शामिल हैं, के लिए भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्रों में मानसून के दौरान बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसके लिए बेहतर आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता है।

धराली: एक खूबसूरत गांव का दर्द
धराली गांव, जो समुद्र तल से 9,005 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और गंगोत्री यात्रा के पड़ाव के रूप में प्रसिद्ध है। यह गांव हर्षिल से 7 किमी और उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 79 किमी दूर है। लेकिन इस आपदा ने गांव की खूबसूरती को मलबे और तबाही में बदल दिया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी भयावह स्थिति पहले कभी नहीं देखी।

आगे की राह
इस प्राकृतिक आपदा ने एक बार फिर हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास के खतरों को उजागर किया है। केंद्र और राज्य सरकार की टीमें प्रभावितों को राहत पहुंचाने और लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वासन दिया है कि प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी।

यह आपदा न केवल धराली के निवासियों, बल्कि पूरे देश के लिए एक दुखद अनुस्मारक है कि प्रकृति के प्रकोप के सामने हमें अधिक सजग और तैयार रहने की आवश्यकता है।