नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक कार्यरत न्यायाधीश की कार्यप्रणाली और टिप्पणियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए उनके आपराधिक क्षेत्राधिकार को तत्काल प्रभाव से वापस लेने का आदेश दिया है। यह आदेश एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें हाईकोर्ट के 5 मई 2025 के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें एक दीवानी प्रकृति के विवाद को आपराधिक कार्यवाही के तहत जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को “चौंकाने वाला” करार देते हुए उसे रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस तर्क पर गहरी आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया था कि शिकायतकर्ता को दीवानी मुकदमा दायर करने के लिए कहना अनुचित होगा, क्योंकि इसमें समय और अतिरिक्त खर्च लगेगा। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी की थी कि दीवानी कार्यवाही में “अच्छा पैसा बुरे पैसे के पीछे भागेगा” और यह “न्याय का उपहास” होगा।
सुप्रीम कोर्ट की तीखी फटकार
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, “हाईकोर्ट का यह तर्क कि आपराधिक कार्यवाही के जरिए शिकायतकर्ता को राशि की वसूली कराई जा सकती है, कानूनी रूप से असमर्थनीय और चौंकाने वाला है। क्या हाईकोर्ट का मानना है कि आपराधिक मुकदमे में दोषी ठहराए जाने पर निचली अदालत शिकायतकर्ता को राशि दिलाएगी?” कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को तत्काल रद्द करते हुए मामले को नए सिरे से विचार के लिए वापस भेजा।
सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
- हाईकोर्ट का 5 मई 2025 का आदेश रद्द किया जाता है।
- धारा 482 के तहत आवेदन (संख्या 2507/2024) पर नए सिरे से विचार के लिए मामले को किसी अन्य न्यायाधीश को सौंपा जाए।
- संबंधित न्यायाधीश का आपराधिक क्षेत्राधिकार तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।
- न्यायाधीश को उनके कार्यकाल के अंत तक केवल वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ खंडपीठ में बैठने की अनुमति होगी।
- भविष्य में एकल पीठ में बैठने पर भी उन्हें कोई आपराधिक मामला नहीं सौंपा जाएगा।
- रजिस्ट्री को आदेश की प्रति तुरंत इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजने का निर्देश।
हाईकोर्ट ने जारी किया पूरक रोस्टर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पूरक रोस्टर जारी कर संबंधित न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र को संशोधित करते हुए उन्हें खंडपीठ में स्थानांतरित कर दिया है।
मामले का विवरण:
- डायरी संख्या: 37528/2025
- मामला: मेसर्स शिखर केमिकल्स बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
सुप्रीम कोर्ट का यह कड़ा रुख न्यायिक अनुशासन और कानूनी प्रक्रिया की मर्यादा को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।