मॉस्को, 4 अगस्त 2025: रूस ने कैंसर के इलाज के लिए एक एमआरएनए वैक्सीन विकसित करने का दावा किया है, जिसके मानव परीक्षण आज, 4 अगस्त 2025 से शुरू हो चुके हैं। रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के निदेशक आंद्रेई काप्रिन ने बताया कि यह वैक्सीन कैंसर के ट्यूमर को बढ़ने से रोकने और उनके मेटास्टेसिस को दबाने में प्रभावी साबित हुई है। गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग के अनुसार, प्री-क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन ने ट्यूमर के विकास को 80% तक कम करने में सफलता दिखाई है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताते हुए घोषणा की है कि वैक्सीन को 2025 की शुरुआत से रूसी नागरिकों को मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने मानवीय आधार पर गरीब देशों को यह वैक्सीन मुफ्त और आर्थिक रूप से सक्षम देशों को कम लागत पर उपलब्ध कराने का वचन दिया है। पुतिन ने कहा, “हमारा लक्ष्य कैंसर जैसी घातक बीमारी से मानवता को मुक्ति दिलाना है, और हम इसे वैश्विक स्तर पर साझा करेंगे।”
वैक्सीन का विकास और तकनीक
रूस की यह एमआरएनए वैक्सीन व्यक्तिगत उपचार पर आधारित है, जिसमें मरीज के ट्यूमर सेल्स के डीएनए और प्रोटीन की पहचान कर वैक्सीन तैयार की जाती है। यह वैक्सीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए प्रेरित करती है। रूसी वैज्ञानिकों का दावा है कि यह तकनीक न केवल ट्यूमर को नियंत्रित करती है, बल्कि कैंसर के दोबारा लौटने की संभावना को भी कम करती है। वैक्सीन का विकास गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर, हर्टसेन मॉस्को ऑन्कोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट और ब्लोखिन कैंसर रिसर्च सेंटर ने संयुक्त रूप से किया है।
वैश्विक प्रभाव और फार्मा उद्योग पर असर
रूस के इस दावे ने वैश्विक फार्मास्युटिकल उद्योग में हलचल मचा दी है। यूरोप और अमेरिका की प्रमुख फार्मा कंपनियां, जैसे मॉडर्ना और मर्क, जो त्वचा कैंसर और अन्य कैंसरों के लिए वैक्सीन पर काम कर रही हैं, इस खबर से प्रभावित हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की मुफ्त और सस्ती वैक्सीन नीति वैश्विक बाजार में दवा कंपनियों के लिए चुनौती पेश कर सकती है, जो कैंसर उपचार पर अरबों डॉलर का कारोबार करती हैं। हालांकि, कुछ विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि रूस के दावों की पुष्टि के लिए मानव परीक्षण के परिणामों का इंतजार करना होगा।
अमेरिका और यूरोप की स्थिति
कैंसर वैक्सीन के क्षेत्र में अमेरिका और यूरोप भी पीछे नहीं हैं। ब्रिटेन ने बायोएनटेक के साथ व्यक्तिगत कैंसर उपचार के लिए समझौता किया है, जबकि मॉडर्ना और मर्क की त्वचा कैंसर वैक्सीन ने मध्य-चरण के ट्रायल में मेलानोमा से मृत्यु की संभावना को आधा करने में सफलता दिखाई है। इसके अलावा, फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी ने ग्लियोब्लास्टोमा (मस्तिष्क कैंसर) के लिए वैक्सीन का परीक्षण किया है, जो 48 घंटों में प्रभाव दिखाने में सक्षम है।
विशेषज्ञों की राय
भारत के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान कुमार ने कहा, “रूस का दावा आशाजनक है, लेकिन मानव परीक्षण के परिणाम और वैक्सीन की प्रभावशीलता पर पूरी जानकारी के बिना निश्चित रूप से कुछ कहना जल्दबाजी होगी। यदि यह वैक्सीन सफल होती है, तो यह कीमोथेरेपी जैसे महंगे उपचारों की आवश्यकता को कम कर सकती है।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत में स्वास्थ्य अनुसंधान पर सीमित बजट के कारण ऐसी तकनीकों का विकास चुनौतीपूर्ण है।
आगे की राह
रूस की यह वैक्सीन अभी प्रारंभिक मानव परीक्षण के चरण में है, और इसके बाजार में आने से पहले नियामक समीक्षा और गुणवत्ता जांच जैसे कई चरणों से गुजरना होगा। रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि वैक्सीन की कीमत वैश्विक स्तर पर अन्य उपचारों की तुलना में किफायती होगी, और यह विशेष रूप से मेलानोमा, फेफड़े, स्तन और कोलन कैंसर के लिए प्रभावी हो सकती है।
रूस के इस कदम को सदी की सबसे बड़ी चिकित्सा उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है, लेकिन वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय इसकी पारदर्शिता और प्रभावशीलता की पुष्टि का इंतजार कर रहा है। यदि यह वैक्सीन वादों के अनुरूप काम करती है, तो यह कैंसर उपचार में क्रांति ला सकती है और वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में रूस की स्थिति को मजबूत कर सकती है।