लेह, 4 अगस्त 2025: भारतीय सेना के अशोक चक्र से सम्मानित नायक, नायब सूबेदार छेरिंग मुटुप (सेवानिवृत्त) का निधन हो गया है। सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर अपनी अदम्य वीरता से देश का मान बढ़ाने वाले इस वीर सपूत के निधन से देश में शोक की लहर है। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) सहित सभी रैंकों ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है और उनके परिवार के प्रति समर्थन जताया है।
ऑपरेशन मेघदूत: सियाचिन की बर्फ में लिखी गई वीरता की कहानी
1984 में शुरू हुए ‘ऑपरेशन मेघदूत’ में नायब सूबेदार छेरिंग मुटुप ने सियाचिन ग्लेशियर जैसे दुनिया के सबसे दुर्गम युद्धक्षेत्र में अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया। यह ऑपरेशन भारत के लिए सामरिक दृष्टि से अहम था, जहां -40 डिग्री सेल्सियस की हाड कंपाने वाली ठंड, बर्फीले तूफान और खतरनाक चट्टानें हर कदम पर चुनौती देती थीं। ऐसे कठिन हालात में छेरिंग मुटुप ने न केवल एक महत्वपूर्ण रिज पर कब्जा किया, बल्कि अपने साथियों में जोश भरकर भारतीय सेना को ऐतिहासिक जीत दिलाई। उनकी इस असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें शांति काल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र, प्रदान किया गया।
प्रेरणा की मिसाल: एक सैनिक की अमर कहानी
छेरिंग मुटुप की वीरता केवल सियाचिन की चोटियों तक सीमित नहीं थी। उनका साहस, नेतृत्व और देशभक्ति की भावना हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने दिखाया कि विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ़ संकल्प और समर्पण से असंभव को संभव बनाया जा सकता है। उनकी गाथा भारतीय सेना के जवानों और देश के युवाओं को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
देश का नमन
नायब सूबेदार छेरिंग मुटुप का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी वीरता की कहानी हमेशा अमर रहेगी। भारत उनकी शौर्य गाथा को सलाम करता है और उनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा। उनकी स्मृति में देश का हर नागरिक गर्व महसूस करता है।