वाराणसी, 2 अगस्त 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी में 51वीं बार कदम रखा और सेवापुरी के बनौली में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए काशीवासियों को 2,183 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी। इन परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर पीएम ने काशी के विकास को नई गति प्रदान की। लेकिन इस बार सावन के पवित्र महीने में काशी पहुंचने के बावजूद पीएम मोदी बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए नहीं गए, जिसकी वजह सुनकर हर कोई भावुक हो उठा।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए टाले दर्शन
मंच से अपने दिल की बात साझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनकी इच्छा काशी विश्वनाथ मंदिर और कैथी के मार्कण्डेय महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने की थी। लेकिन सावन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए उन्होंने यह फैसला लिया कि उनकी यात्रा से भक्तों को कोई असुविधा न हो। पीएम ने भावुक अंदाज में कहा,”मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण किसी श्रद्धालु को बाबा के दर्शन में तकलीफ हो। इसलिए इस बार मैं मंदिर नहीं जा रहा। यहीं से, इस मंच से मैं बाबा विश्वनाथ और मां गंगा को प्रणाम करता हूं।”
यादव बंधुओं की परंपरा का किया जिक्र
पीएम मोदी ने सावन में यादव बंधुओं द्वारा गौरी केदारेश्वर मंदिर में किए जाने वाले जलाभिषेक की परंपरा की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “जब यादव भाई घड़ों में गंगा जल लेकर ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष के साथ जलाभिषेक के लिए जाते हैं, तो वह दृश्य अत्यंत मनोहारी और रोमांचकारी होता है। डमरू की थाप और भक्ति का वह माहौल अद्भुत है।” पीएम ने सावन में काशी पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की तस्वीरें देखकर गर्व महसूस होने की बात भी कही।
पहलगाम हमले का बदला बाबा के आशीर्वाद से
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से ही इस हमले का बदला लिया जा सका। उन्होंने काशी को ‘दिव्य, भव्य और नव्य’ बताते हुए इसे अपने लिए गौरव का विषय बताया।
प्रशासन था तैयार, फिर भी बदला फैसला
सावन के महीने में पीएम के काशी दौरे को देखते हुए प्रशासन ने भी उनके विश्वनाथ मंदिर जाने की संभावना को लेकर तैयारियां की थीं। लेकिन पीएम ने श्रद्धालुओं की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए मंदिर न जाने का निर्णय लिया।
काशीवासियों के लिए पीएम का यह दौरा विकास के साथ-साथ उनकी भक्ति और संवेदनशीलता का भी प्रतीक बन गया। उनके इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे न केवल एक नेता, बल्कि काशी के प्रति गहरी आस्था रखने वाले भक्त भी हैं।