नई दिल्ली, 2 अगस्त 2025: लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए ‘वोट चोरी’ के गंभीर आरोपों के जवाब में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने राहुल गांधी के दावों को ‘निराधार’ और ‘गैर-जिम्मेदाराना’ करार देते हुए खारिज किया है और अपने सभी अधिकारियों से ऐसे बयानों को नजरअंदाज कर निष्पक्ष व पारदर्शी ढंग से काम करने की अपील की है।
राहुल गांधी ने शुक्रवार को संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में दावा किया था कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं, जो यह साबित करते हैं कि चुनाव आयोग ‘वोट चोरी’ में शामिल है और यह काम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को ‘मैच फिक्सिंग’ करार देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया के जरिए अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अल्पसंख्यक समुदायों के वोटों को हटाया जा रहा है। राहुल ने यह भी चेतावनी दी कि इस ‘वोट चोरी’ में शामिल लोगों को, चाहे वे सेवानिवृत्त हों, बख्शा नहीं जाएगा और इसे ‘देशद्रोह’ से कम नहीं माना जाएगा।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वह ‘रोजाना लगाए जा रहे निराधार आरोपों और धमकियों’ को नजरअंदाज करता है। आयोग ने अपने बयान में बताया कि उसने 12 जून 2025 को राहुल गांधी को इस मामले में पत्र और ईमेल भेजा था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, न ही राहुल आयोग के समक्ष पेश हुए। इसके अलावा, आयोग ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक के 2024 लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची को लेकर कोई औपचारिक याचिका दायर नहीं की, जो उनके दावों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
आयोग ने अपने कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे ऐसे ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बयानों से विचलित न हों और संविधान के तहत निष्पक्षता व पारदर्शिता के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें। आयोग ने यह भी कहा कि बिहार में SIR प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध करना है, ताकि सभी पात्र मतदाताओं को वोटिंग का अधिकार मिले। इसके लिए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की गई है, और 1 सितंबर 2025 तक लोग अपने नाम की शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
राहुल गांधी के दावे
राहुल गांधी ने दावा किया कि कांग्रेस ने कर्नाटक के एक लोकसभा क्षेत्र (बेंगलुरु ग्रामीण) की मतदाता सूची का छह महीने तक डिजिटल विश्लेषण किया, जिसमें हजारों नए मतदाताओं को जोड़े जाने और पुराने मतदाताओं के नाम हटाए जाने का पता चला। उन्होंने इसे ‘एटम बम’ की संज्ञा दी और कहा कि जल्द ही ये सबूत सार्वजनिक किए जाएंगे, जिसके बाद ‘चुनाव आयोग देश में कहीं नहीं दिखेगा।’ राहुल ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के चुनावों में भी ऐसी गड़बड़ियों का आरोप लगाया, विशेष रूप से महाराष्ट्र में एक करोड़ नए मतदाताओं को जोड़े जाने को संदिग्ध बताया।
बीजेपी और अन्य प्रतिक्रियाएँ
बीजेपी ने राहुल गांधी के बयानों को ‘हास्यास्पद’ और ‘लोकतंत्र को कमजोर करने वाला’ करार दिया। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राहुल गांधी संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने तंज कसते हुए कहा, “राहुल गांधी हताश हैं क्योंकि उन्हें वोट नहीं मिल रहे। जब वे जीतते हैं, तब आयोग ठीक है, और हारने पर दोषी?”
विपक्षी दलों, जैसे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। ममता ने प्रवासी अल्पसंख्यक मतदाताओं से वापस लौटने की अपील की, जबकि कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि बिहार में SIR के नाम पर लोगों को रसीद तक नहीं दी जा रही।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए अपनी निष्पक्षता पर जोर दिया है, जबकि राहुल और कांग्रेस इस मुद्दे को संसद से सड़क तक ले जाने की तैयारी में हैं। राहुल ने 5 अगस्त को बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन और सबूत पेश करने की घोषणा की है। यह विवाद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल को और गरमा सकता है।