नई दिल्ली, 2 अगस्त 2025: हाल ही में ब्रिटेन की संयुक्त मानवाधिकार समिति ने अपनी अंतरराष्ट्रीय दमन रिपोर्ट (टीएनआर) में भारत को उन 12 देशों की सूची में शामिल किया है, जिनके खिलाफ दमन के सबूत मिले हैं। इस सूची में भारत के साथ-साथ चीन, रूस, ईरान, सऊदी अरब जैसे देश भी शामिल हैं। यह वही ब्रिटेन है, जिसका इतिहास साम्राज्यवादी नीतियों और दमन की कहानियों से भरा पड़ा है। आइए, एक नज़र डालते हैं कि कैसे ब्रिटेन ने सदियों तक दुनिया भर में कहर बरपाया और अब दूसरों पर उंगली उठा रहा है।
ब्रिटेन का साम्राज्यवादी इतिहास: दुनिया पर कब्ज़ा
16वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक, ब्रिटेन ने अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं के चलते दुनिया के लगभग 90% देशों पर हमला किया या उन्हें अपने अधीन किया। उत्तरी अमेरिका से लेकर वेस्ट इंडीज, अफ्रीका से एशिया और ओशिनिया तक, ब्रिटिश साम्राज्य ने कनाडा, भारत, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया, केन्या, मलेशिया, हांगकांग और कई अन्य देशों को अपनी गुलामी की जंजीरों में जकड़ा। इन देशों में अंग्रेजों ने न केवल स्थानीय संसाधनों को लूटा, बल्कि वहां की जनता पर अत्याचार और भेदभाव का ऐसा जाल बिछाया कि लाखों-करोड़ों लोग मौत के मुंह में समा गए।
भारत में ब्रिटिश दमन: 10 करोड़ मौतों का अनुमान
भारत में ब्रिटिश शासन (1857-1947) का दौर दमन और अत्याचार की दास्तानों से भरा है। इतिहासकारों का अनुमान है कि इस दौरान लगभग 10 करोड़ भारतीयों ने अंग्रेजों की नीतियों के कारण अपनी जान गंवाई। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने के लिए अंग्रेजों ने गांव-के-गांव जला दिए, क्रांतिकारियों को फांसी पर लटकाया और निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवाईं। 1919 का जलियांवाला बाग हत्याकांड इसका ज्वलंत उदाहरण है, जहां जनरल डायर के आदेश पर सैकड़ों निहत्थे भारतीय मारे गए। इतना ही नहीं, 1943-44 के बंगाल अकाल में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की नीतियों के कारण 30 लाख लोग भुखमरी का शिकार हुए, क्योंकि भारत का अनाज ब्रिटिश सैनिकों के लिए भेज दिया गया।
दुनिया भर में ब्रिटिश नीतियों का कहर
भारत ही नहीं, ब्रिटेन की दमनकारी नीतियों ने दुनिया भर में कहर बरपाया। आयरलैंड में 1845-1852 के बीच आए अकाल में 10 लाख से अधिक लोग मारे गए, क्योंकि ब्रिटेन ने वहां से अनाज निर्यात बंद नहीं किया। केन्या में 1952 के माउ माउ विद्रोह को कुचलने के लिए हजारों लोगों को यातनाएं दी गईं और बर्बर तरीके से हत्याएं की गईं। दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, मलेशिया और कई अन्य देशों में भी ब्रिटिश नीतियों ने स्थानीय लोगों को उनके ही संसाधनों से वंचित कर भुखमरी, बीमारियों और मौत के मुंह में धकेल दिया।
आज का ब्रिटेन और उसका दोहरा चरित्र
आज वही ब्रिटेन, जिसका इतिहास दमन और लूट से रंगा है, भारत जैसे देशों पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगा रहा है। यह वही देश है, जिसने अपने साम्राज्यवादी दौर में अनगिनत लोगों की जान ली और उनके संसाधनों पर कब्जा किया। ब्रिटेन की यह रिपोर्ट न केवल विडंबनापूर्ण है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि क्या वह अपने अतीत की जवाबदेही लेने को तैयार है?
ब्रिटेन का इतिहास हमें सिखाता है कि साम्राज्यवाद और दमन की नीतियां लाखों-करोड़ों जिंदगियों को तबाह कर सकती हैं। भारत, जिसने ब्रिटिश शासन की क्रूरता को झेला और आजादी की लड़ाई लड़ी, आज एक स्वतंत्र और मजबूत राष्ट्र के रूप में खड़ा है। ब्रिटेन की यह नई रिपोर्ट भले ही भारत पर सवाल उठाए, लेकिन इतिहास गवाह है कि दमन और अत्याचार की असली कहानी किसने लिखी।