वाराणसी, 31 जुलाई 2025: काशी की संकरी गलियों को नया स्वरूप देने के लिए दालमंडी चौड़ीकरण अभियान अब सुर्खियों में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 अगस्त को अपने वाराणसी दौरे के दौरान इस महत्वाकांक्षी परियोजना की आधारशिला रखेंगे। इस अभियान का मकसद काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के लिए सुगम मार्ग तैयार करना है। लेकिन इस परियोजना को लेकर स्थानीय दुकानदारों और मुस्लिम समुदाय में तीखा विरोध भी देखने को मिल रहा है।
2200 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात
PM मोदी अपने दौरे पर 2200 करोड़ रुपये की 52 परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे, जिनमें दालमंडी चौड़ीकरण भी शामिल है। इस परियोजना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 215 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बारिश के बाद इस अभियान को शुरू करने के निर्देश दिए थे। 17 मीटर तक गलियों को चौड़ा करने की योजना है, ताकि मंदिर जाने का रास्ता आसान हो सके।
दुकानदारों और मस्जिद कमेटी का विरोध
दालमंडी, वाराणसी का सबसे बड़ा थोक बाजार और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। चौड़ीकरण की योजना बनने के बाद से ही स्थानीय दुकानदारों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना है कि इस परियोजना से करीब 180 से अधिक घर व हजार दुकानें और आधा दर्जन मस्जिदें प्रभावित हो सकती हैं, जिससे उनका रोजगार खतरे में पड़ सकता है।
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एस.एम. यासीन ने चेतावनी देते हुए कहा, “हम मस्जिदों को थाली में सजाकर देने वालों में से नहीं हैं। मस्जिदों को तोड़ना आसान नहीं होगा।” उन्होंने इसे सरकार की ‘चुनावी रणनीति’ करार देते हुए आरोप लगाया कि यह कदम 2027 और बिहार चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है। यासीन ने आशंका जताई कि सरकार ज्ञानवापी जैसे विवादित माहौल को दोहराने की कोशिश कर रही है।
‘धार्मिक तनाव पैदा करने की साजिश’
यासीन ने सरकार पर धार्मिक तनाव भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह परियोजना केवल विकास के नाम पर नहीं, बल्कि राजनीतिक मंशा से प्रेरित है। उन्होंने कश्मीर जैसे हालात की आशंका जताई और कहा कि मुस्लिम समुदाय इसका पुरजोर विरोध करेगा।
आगे क्या?
दालमंडी चौड़ीकरण अभियान विकास और विवाद के बीच एक तनावपूर्ण मोड़ पर है। एक तरफ सरकार इसे काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को निखारने की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय समुदाय इसे अपने रोजगार और धार्मिक स्थलों पर खतरे के रूप में देख रहा है। PM मोदी के दौरे के बाद इस अभियान का भविष्य क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।