बलूचिस्तान, 31 जुलाई 2025: ऑपरेशन सिंदूर के बाद बलूचिस्तान एक बार फिर सुर्खियों में है। इस क्षेत्र में स्वतंत्रता की मांग जोर पकड़ रही है, और बलूचिस्तान के स्वतंत्रता समर्थक मीर यार बलूच ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया है। मीर यार, जो एक लेखक, मानवाधिकार कार्यकर्ता और ‘फ्री बलूच मूवमेंट’ के प्रतिनिधि हैं, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम एक खुला पत्र साझा किया है, जिसमें बलूचिस्तान की स्थिति को स्पष्ट किया गया है।
पत्र में मीर यार ने लिखा कि बलूचिस्तान के विशाल तेल, प्राकृतिक गैस, तांबा, लिथियम, यूरेनियम और दुर्लभ खनिज भंडार पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में नहीं, बल्कि बलूचिस्तान गणराज्य में हैं, जिसे ऐतिहासिक रूप से एक संप्रभु राष्ट्र माना जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई इन संसाधनों का दुरुपयोग कर आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है।
मीर यार ने चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान को इन संसाधनों के दोहन की अनुमति दी गई, तो यह न केवल बलूच लोगों के साथ अन्याय होगा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा होगा। उन्होंने दावा किया कि इन संसाधनों से होने वाला मुनाफा भारत और इजराइल विरोधी जिहादी समूहों को मजबूत करने में इस्तेमाल हो सकता है, जिससे दक्षिण एशिया और वैश्विक स्थिरता पर असर पड़ेगा।
पत्र में बलूचिस्तान की संप्रभुता पर जोर देते हुए मीर यार ने कहा, “बलूचिस्तान बिकाऊ नहीं है। हम अपनी जमीन और संसाधनों पर बिना सहमति के किसी भी विदेशी शक्ति को कब्जा नहीं करने देंगे।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका, से बलूच लोगों की स्वतंत्रता और उनके संसाधनों पर नियंत्रण की मांग का समर्थन करने की अपील की।
यह पत्र सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा का विषय बन गया है, और बलूचिस्तान की आजादी का मुद्दा एक बार फिर वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है।