वाराणसी, 18 जुलाई 2025: सिगरा के प्रतिष्ठित डालिम्स-सनबीम स्कूल में एक महिला शिक्षिका से यौन उत्पीड़न के सनसनीखेज मामले में कोर्ट ने जांच की खामियों को उजागर कर पुलिस और स्कूल प्रबंधन को कठघरे में खड़ा किया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने जांच को “संवेदनहीन और संदिग्ध” करार देते हुए विवेचक दरोगा के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही स्कूल की तत्कालीन प्रिंसिपल प्रतिभा त्रिवेदी की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है।
7 दिन में फाइनल रिपोर्ट, पीड़िता की आवाज दबाई गई
कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि महज सात दिनों में जांच पूरी कर फाइनल रिपोर्ट दाखिल करना न्याय के साथ खिलवाड़ है। हैरानी की बात यह है कि पीड़िता का अनिवार्य बयान (धारा 183 BNS) तक दर्ज नहीं किया गया। अदालत ने इसे विधि मानकों का उल्लंघन बताते हुए पुलिस कमिश्नर वाराणसी को 15 दिनों में दरोगा के खिलाफ जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
पीड़िता ने दी फाइनल रिपोर्ट को चुनौती
पीड़िता शिक्षिका ने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट को एकपक्षीय और स्कूल प्रशासन के पक्ष में बताया। 28 मई को सिगरा थाने में दर्ज FIR में शिक्षिका ने स्कूल के डीन सुभोदीप डे पर यौन उत्पीड़न और प्रिंसिपल पर इसकी अनदेखी का आरोप लगाया था। पीड़िता का कहना है कि डीन ने स्कूल परिसर में उनका मोबाइल छीनकर अश्लील प्रस्ताव दिए और फ्लैट पर बुलाया। शिकायत करने पर उसी दिन उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
कोर्ट की सख्ती के बाद मामले में दोबारा जांच की संभावना प्रबल हो गई है। जांच को प्रभावित करने वाले पुलिस अधिकारियों और स्कूल प्रबंधन पर कड़ी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इस मामले ने न केवल स्कूल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
न्याय की आस जगी
इस संवेदनशील प्रकरण में कोर्ट की सक्रियता ने पीड़िता में न्याय की उम्मीद जगाई है। जनता की निगाहें अब अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस हाई-प्रोफाइल मामले में नया मोड़ आ सकता है।