फर्रुखाबाद, 18 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज तहसील क्षेत्र के लखनपुर गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील खाने के बाद एक ही परिवार के पांच बच्चों की हालत बिगड़ गई, जिसमें से एक 10 वर्षीय बच्ची सुनीता की गुरुवार सुबह फूड पॉइजनिंग के कारण मौत हो गई। अन्य चार बच्चों को गंभीर हालत में कायमगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया है, जहां से उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर किया गया है।
घटना की जानकारी के अनुसार, बुधवार को लखनपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय मुबारिक नगर में पढ़ने वाले सुनीता (10), गीता (12), अंशुल (11), गुलशन (8), और रीता (14) ने स्कूल में मिड-डे मील के तहत तहरी खाई थी। खाना खाने के कुछ घंटों बाद बच्चों को पेट दर्द, उल्टी और दस्त की शिकायत शुरू हुई। परिजनों का आरोप है कि खराब मिड-डे मील के कारण बच्चों की हालत बिगड़ी। सुनीता की स्थिति सबसे गंभीर थी, और गुरुवार सुबह उसने दम तोड़ दिया। गांव में इस घटना के बाद मातम का माहौल है, और ग्रामीणों में स्कूल प्रशासन के खिलाफ गुस्सा देखा जा रहा है।
घटना की सूचना मिलते ही कायमगंज के एसडीएम रविंद्र कुमार, तहसीलदार, और क्षेत्राधिकारी (सीओ) मौके पर पहुंचे। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और भोजन के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। एसडीएम रविंद्र कुमार ने दावा किया कि मिड-डे मील से तबीयत खराब होने की बात पूरी तरह सही नहीं है और इसे भ्रांति बताया। उन्होंने कहा कि अन्य बच्चों की हालत सामान्य है, और मामले की गहन जांच की जा रही है।
हालांकि, ग्रामीणों और परिजनों ने मिड-डे मील की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि लंबे समय से स्कूलों में खराब भोजन परोसा जा रहा है, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। एक परिजन ने कहा, “हम बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजते हैं, यह उम्मीद नहीं करते कि वहां से उनकी लाश आएगी।”
जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सुनीता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है, और रिपोर्ट आने के बाद मौत के सटीक कारण का पता चलेगा।
यह घटना मिड-डे मील योजना की खामियों को फिर से उजागर करती है। पहले भी फर्रुखाबाद के स्कूलों में खराब भोजन की शिकायतें सामने आ चुकी हैं, जहां घुन लगे चावल और सिंथेटिक रंग वाली सब्जियां पकड़ी गई थीं, लेकिन जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई। यह त्रासदी बच्चों की सुरक्षा और पोषण के लिए चलाई जा रही इस योजना की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।