वाराणसी, 17 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश की वाराणसी जिले की पिंडरा तहसील, जो कभी अपनी व्यवस्था और गौरव के लिए जानी जाती थी, आज अव्यवस्था के दलदल में डूबी हुई है। बरसात के मौसम में बार-बार होने वाले जलजमाव ने तहसील परिसर को कीचड़ और गंदगी का अड्डा बना दिया है। गुरुवार को इस बदहाली से तंग आ चुके अधिवक्ताओं का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा। उन्होंने विरोध का ऐसा अनोखा तरीका चुना, जिसने सबका ध्यान खींच लिया—गंदे पानी में उतरकर धान की रोपाई!
जी हां, तहसील परिसर में घुटनों तक भरे गंदे पानी में उतरे अधिवक्ताओं ने प्रतीकात्मक रूप से धान रोपकर प्रशासन की नाकामी को उजागर किया। “भ्रष्ट प्रशासन होश में आओ!” जैसे गगनभेदी नारों के साथ उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की। यह नजारा देख तहसील के कर्मचारी भी दफ्तरों से बाहर निकल आए, और कई ने चुपके से वकीलों के इस साहसिक कदम की सराहना भी की।
अधिवक्ताओं का कहना है कि पिंडरा तहसील, जिसे कभी प्रदेश की नंबर वन तहसील का दर्जा प्राप्त था, आज उपेक्षा और कुप्रबंधन का शिकार है। हर साल बारिश में जलनिकासी की व्यवस्था चरमरा जाती है, लेकिन स्थानीय प्रशासन सिर्फ आश्वासनों के सहारे समय काटता है। वरिष्ठ अधिवक्ता शिवपूजन सिंह, पनधारी यादव, जवाहर वर्मा, श्रीनाथ गौड़, रामभरत यादव, अशोक लाल कनौजिया, अमर पटेल, रवि यादव और ए.के. सिंह जैसे कई वकीलों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया। गंदे पानी में खड़े होकर धान रोपते हुए उन्होंने साफ संदेश दिया—यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि प्रशासन को जगाने की जोरदार कोशिश है।
वकीलों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही जलजमाव की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हुआ, तो यह आंदोलन और तेज होगा। शहर के पश्चिमी छोर पर बसी यह तहसील आज प्रशासनिक लापरवाही का जीता-जागता सबूत है। अधिवक्ताओं का यह अनोखा प्रदर्शन न सिर्फ उनकी हताशा को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि आखिर कब तक जनता को ऐसी बदहाली झेलनी पड़ेगी?
यह प्रदर्शन न केवल पिंडरा तहसील, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है कि जब व्यवस्था सोती है, तो जनता को अपने हक के लिए कितने अनोखे और साहसिक तरीके अपनाने पड़ सकते हैं। अब गेंद प्रशासन के पाले में है—क्या वह इस ललकार का जवाब देगा, या फिर यह दलदल और गहरा होगा?