नई दिल्ली, 17 जुलाई 2025: देश में महंगाई को लेकर विपक्ष भले ही सवाल उठाता रहा हो, लेकिन ताजा आंकड़े उनकी चुप्पी की वजह बन गए हैं। जून 2025 में भारत की खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर मात्र 2.1% पर आ गई है—एक ऐतिहासिक उपलब्धि, जो सरकार की आर्थिक नीतियों की मजबूती को दर्शाती है।
विपक्ष का एजेंडा फेल, आंकड़े बता रहे हकीकत
विपक्ष अक्सर महंगाई को मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साधता है, लेकिन इस बार 2.1% की दर ने उनके तमाम दावों की हवा निकाल दी। तुलना करें तो UPA सरकार (2004-2014) के दौर में हालात बदतर थे। जनवरी 2012 से अप्रैल 2014 तक 28 में से 22 महीने खुदरा महंगाई 9% से ऊपर रही। नौ बार तो यह दो अंकों (10%+) तक पहुंच गई। उस दौर में औसत महंगाई दर 9.8% थी, जबकि वैश्विक महंगाई महज 4-5% के बीच थी।
मोदी सरकार की नीतियों का कमाल
मोदी सरकार ने न सिर्फ महंगाई पर लगाम लगाई, बल्कि इसे ज्यादातर समय 5% से नीचे रखा। पिछले एक दशक में महंगाई कभी भी 8% से ऊपर नहीं गई। आंकड़े बताते हैं कि 2014 से अब तक औसत खुदरा महंगाई सिर्फ 5.1% रही, जो UPA के 8.1% के मुकाबले कहीं बेहतर है।
मजबूत नेतृत्व, स्थिर अर्थव्यवस्था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने न केवल आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की, बल्कि आम जनता को महंगाई के बोझ से भी राहत दी। यह उपलब्धि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद हासिल की गई है। जैसा कि कहा जाता है—काम बोलता है, और आंकड़े गवाही देते हैं।
विपक्ष के पास अब शायद ही कोई जवाब बचा हो। जब आंकड़े खुद बोल रहे हों, तो चुप्पी ही सबसे बड़ा जवाब है!