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Tuesday, July 8, 2025

11वीं भारत मक्का समिट का केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने किया उद्घाटन

मक्का तीसरी सबसे बड़ी फसल, उत्पादकता बढ़ाने और शोध की जरूरत: शिवराज सिंह

आईसीएआर ने विकसित कीं 265 नई मक्का किस्में, जिनमें 77 हाइब्रिड शामिल

नई दिल्ली, 7 जुलाई 2025: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को नई दिल्ली में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा आयोजित 11वें भारत मक्का समिट-2025 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने मक्का उत्पादन में नवाचार और उत्कृष्ट योगदान देने वाले किसानों को सम्मानित किया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा हैं। “किसानों की सेवा मेरे लिए भगवान की पूजा है। हमारा लक्ष्य है कि मक्का के साथ-साथ किसानों को ताकतवर बनाया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, किसानों की आय बढ़ाने, खेती को लाभकारी बनाने और पोषणयुक्त आहार उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहे हैं। साथ ही, हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमारी धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपजाऊ बनी रहे। अधिक उत्पादन के चक्कर में इसका शोषण नहीं होना चाहिए।”

शिवराज सिंह ने बताया कि मक्का देश की तीसरी सबसे बड़ी फसल बन चुकी है, लेकिन इसकी उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है। “अमेरिका और ब्राजील में मक्का उत्पादन हमसे कहीं अधिक है। भारत में 1990 के दशक में 10 मिलियन टन मक्का उत्पादन था, जो अब बढ़कर 42.3 मिलियन टन हो गया है। 2027 तक इसे 86 मिलियन टन तक ले जाने का लक्ष्य है। वर्तमान में औसत उत्पादकता 3.78 टन प्रति हेक्टेयर है, लेकिन पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में यह राष्ट्रीय औसत से अधिक है।” उन्होंने वैज्ञानिकों को मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध तेज करने का निर्देश दिया।

मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की सराहना करते हुए कहा कि इसने 265 नई मक्का किस्में विकसित की हैं, जिनमें 77 हाइब्रिड और 30 बायोफॉर्टिफाइड किस्में शामिल हैं। “काम हुआ है, लेकिन अभी और करने की जरूरत है। सरकार ने मक्का किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी और एथनॉल नीतियों को लागू किया है, जिससे कीमतों में सुधार हुआ है। लागत कम करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए भी शोध जारी है।”

शिवराज सिंह ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग को बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि इसके अनुकूल फसलें विकसित करना जरूरी है। “रेनफेड इलाकों में मक्का उत्पादन बढ़ाने और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टिकाऊ किस्में विकसित करने पर काम हो रहा है। पंजाब और हरियाणा में फसल विविधीकरण के लिए धान की जगह मक्का को प्रोत्साहित किया जा रहा है।” उन्होंने स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न जैसी फसलों को बढ़ावा देने की बात कही, जो किसानों को त्वरित लाभ दे सकती हैं।

मक्का से डीडीजीएस जैसे सह-उत्पादों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “मक्का में प्रोटीन 25-30% है, जबकि चावल में 40-45%। हमें शोध के जरिए मक्का में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा।”

समिट में मक्का उत्पादन, शोध और नीतिगत पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसमें किसानों, वैज्ञानिकों और उद्योग प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन मक्का क्षेत्र में भारत की प्रगति और भविष्य की संभावनाओं को रेखांकित करने में महत्वपूर्ण रहा।

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