नई दिल्ली, 7 जुलाई 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सियासी मैदान में जोरदार एंट्री मार दी है। अपने बेबाक अंदाज और दमदार रणनीति के साथ मायावती ने ऐलान किया है कि बसपा बिहार में किसी गठबंधन के सहारे नहीं, बल्कि अपने दम पर चुनावी जंग लड़ेगी। इसके साथ ही उन्होंने राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था और हालिया गोपाल खेमका हत्याकांड को लेकर नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोला है।
अकेले मैदान में उतरेगी बसपा
मायावती ने साफ कर दिया कि बसपा दलितों, अति-पिछड़ों, शोषितों, गरीबों और मजदूरों की आवाज है, जो अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बल पर बिहार में पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा, “बसपा बिहार विधानसभा चुनाव में किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। हम अपने कैडर और जनता के समर्थन के साथ पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे।” यह ऐलान बिहार की सियासत में एक नया मोड़ लाने वाला है, क्योंकि बसपा का मजबूत वोटबैंक, खासकर दलित और पिछड़े वर्गों में, हमेशा से खेल बदलने की क्षमता रखता है।
गोपाल खेमका हत्याकांड पर मायावती का तंज
मायावती ने बिहार की कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करते हुए राजधानी पटना में उद्योगपति और भाजपा से जुड़े नेता गोपाल खेमका की हत्या को मुद्दा बनाया। उन्होंने कहा, “बिहार में दलितों, पिछड़ों, गरीबों और महिलाओं के खिलाफ अन्याय और हिंसा की घटनाएं पहले से ही चिंता का सबब हैं, लेकिन गोपाल खेमका की हत्या ने राज्य की कानून-व्यवस्था की पोल खोल दी है।” मायावती ने इस घटना को चुनाव से पहले माहौल को अस्थिर करने की साजिश का हिस्सा करार देते हुए चुनाव आयोग से तत्काल कठोर कदम उठाने की मांग की।
चुनाव आयोग से निष्पक्षता की गुहार
बसपा सुप्रीमो ने चुनाव आयोग से अपील की कि बिहार में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग, धनबल, बाहुबल और अपराधबल पर लगाम लगाई जाए। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की गरिमा तभी बनी रहेगी, जब सभी दलों को बराबर का मौका मिलेगा।” मायावती ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान बढ़ती हिंसा पर भी चिंता जताई और इसे कुछ शक्तियों की साजिश बताया, जो अपने स्वार्थ के लिए बिहार का माहौल खराब करना चाहती हैं।
बिहार की सियासत में हलचल
मायावती के इस ऐलान ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है। बसपा का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला न केवल अन्य दलों की रणनीतियों को प्रभावित करेगा, बल्कि दलित और पिछड़े वर्गों के वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने की उनकी कोशिश भी साफ नजर आ रही है। सभी की नजरें अब बसपा की अगली रणनीति और उम्मीदवारों की सूची पर टिकी हैं। क्या मायावती बिहार में नया सियासी समीकरण बना पाएंगी? यह तो वक्त बताएगा, लेकिन उनकी यह एंट्री निश्चित तौर पर बिहार के चुनावी रण को और रोमांचक बना देगी!