लखनऊ, 7 जुलाई 2025: भारत में अवैध धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसके केंद्र में है छांगुर बाबा, एक ऐसा शख्स जो धर्म के नाम पर अरबों रुपये के काले खेल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अब इस शातिर सरगना और उसके करीबियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। विदेशी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग, और अवैध जमीन कब्जे की कहानी ने इस मामले को और सनसनीखेज बना दिया है।
विदेशी फंडिंग का काला खेल
छांगुर बाबा के काले कारनामों का खुलासा तब हुआ, जब विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने जांच शुरू की। पता चला कि छांगुर और उसके सहयोगियों के बैंक खातों में बीते कुछ सालों में विदेशों, खासकर इस्लामिक देशों, से करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन हुए। एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर अमिताभ यश के अनुसार, अब तक 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के ट्रांजेक्शन का पता चला है। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी को विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई है।
नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जलालुद्दीन के बैंक खातों में भारी-भरकम रकम का लेन-देन सामने आया है। नीतू के एक बैंक खाते में महज 124 दिनों में 13.9 करोड़ रुपये जमा हुए और 13.58 करोड़ रुपये निकाले गए। नवीन के खातों में भी 16.22 करोड़ रुपये नेफ्ट और 18.66 करोड़ रुपये विदेशी ट्रांजेक्शन के जरिए जमा हुए। हैरानी की बात यह है कि आधा दर्जन से ज्यादा विदेशी वोस्ट्रो खातों की जानकारी अब तक एजेंसियों को नहीं मिल पाई है। इन खातों में भी करोड़ों के लेन-देन की आशंका है।
फर्जी फर्मों के जरिए काला धन
छांगुर ने विभिन्न फर्जी फर्मों के नाम पर आठ बैंक खाते खोल रखे थे, जिनमें अस्वी इंटरप्राइजेज, आस्वी चैरिटेबल ट्रस्ट, और बाबा ताजुद्दीन आस्वी बुटिक जैसे नाम शामिल हैं। इन खातों में विदेशी फंड्स के जरिए लाखों रुपये जमा हुए। जांच में सामने आया कि छांगुर ने इन फर्मों का इस्तेमाल धर्मांतरण के लिए फंड जुटाने और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया।
होटल के कमरे में 70 दिन का ठिकाना
50 हजार रुपये के इनामी छांगुर बाबा और नीतू उर्फ नसरीन राजधानी लखनऊ के विकास नगर स्थित होटल स्टार रूम्स के एक ही कमरे में 70 दिनों तक छिपे रहे। हैरत की बात यह है कि न स्थानीय पुलिस को इसकी भनक लगी, न ही एसटीएफ या एटीएस को। होटल के कमरा नंबर 104 में 16 अप्रैल से ठहरे छांगुर और नीतू के पास कई संदिग्ध लोग आते-जाते थे, जिनमें एक वकील भी शामिल था। होटल में दोनों ने आधार कार्ड की कॉपी दी थी, जिसमें नीतू का नाम नीतू नवीन रोहरा और छांगुर का नाम छांगुर दर्ज था।
जमीनों पर कब्जा, फर्जीवाड़े का साम्राज्य
छांगुर और उसके गिरोह ने न केवल अवैध फंडिंग का जाल बिछाया, बल्कि पूरे देश में करोड़ों की जमीनें खरीदने और कब्जाने का गोरखधंधा भी चलाया। एफआईआर के मुताबिक, छांगुर, नीतू, नवीन, और उनके साथी महबूब, मो. सबरोज, रमजान, रशीद, और शहाबुद्दीन ने स्थानीय प्रशासन से सांठ-गांठ कर ग्राम समाज, तालाब, और खलिहान की जमीनों को फर्जी तरीके से भूमिधरी में बदलवाकर खरीदा।
नागपुर के ईदुल इस्लाम जैसे लोग इस गैंग की मदद कर रहे थे। छांगुर ने चार साल में 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियां अर्जित कीं। मधपुर में 12 करोड़ रुपये की लागत से तबेला, अस्पताल, स्टोर रूम, बंगला, और दो शोरूम बनवाए गए। पुणे के मावल में 16 करोड़ की जमीन खरीदी गई, जिसमें एक कोर्टकर्मी की पत्नी भी साझेदार है। रेहरामाफी गांव में कई घर बनवाए गए, जहां 50 से ज्यादा लोग रहते हैं।
ठेकेदार पर दबाव और पुलिस का दुरुपयोग
छांगुर ने ठेकेदार वसीउद्दीन के साथ विवाद होने पर पुलिस की मदद से उसके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट सहित कई धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई। यह इस बात का सबूत है कि छांगुर का नेटवर्क कितना शक्तिशाली और प्रभावशाली था। तहसील कर्मियों की मदद से तालाब की जमीन को नीतू के नाम पर करवाया गया, जो इस गिरोह के फर्जीवाड़े का एक और नमूना है।
अब क्या होगा?
छांगुर बाबा और उसके गिरोह के खिलाफ ईडी और एनआईए की कार्रवाई तेज होने वाली है। विदेशी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग, और अवैध जमीन कब्जे के इस मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। जांच एजेंसियां अब उन विदेशी खातों की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं, जिनकी डिटेल अभी तक सामने नहीं आई है।
छांगुर बाबा का यह काला साम्राज्य धर्म के नाम पर भोले-भाले लोगों को ठगने और देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनने की साजिश का हिस्सा था। अब सवाल यह है कि क्या जांच एजेंसियां इस रैकेट के हर पहलू को उजागर कर पाएंगी? और क्या छांगुर जैसे शातिर अपराधी को सजा दिलाने में कामयाब होंगी? यह समय ही बताएगा।