रियो डी जनेरियो, 7 जुलाई 2025: ब्रिक्स (BRICS) देशों के 17वें शिखर सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई। रियो डी जनेरियो घोषणापत्र में ब्रिक्स नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति को दोहराते हुए आतंकियों के सीमा-पार आवागमन, आतंकवाद को वित्तीय सहायता और सुरक्षित पनाहगाहों पर रोक लगाने की प्रतिबद्धता जताई। इस घोषणापत्र को भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह बिना नाम लिए पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के खिलाफ कड़ा संदेश देता है।
पहलगाम हमला: मानवता पर प्रहार
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें भारतीय, विदेशी और नेपाली पर्यटक शामिल थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, हालांकि बाद में वैश्विक निंदा के बाद उसने अपने बयान से पलटी मार ली। भारत ने इस हमले के जवाब में 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए, जिसमें कम से कम 100 आतंकी मारे गए।
ब्रिक्स का स्पष्ट रुख
रियो डी जनेरियो घोषणापत्र में ब्रिक्स नेताओं ने कहा, “हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं, जिसमें 26 लोगों की जान गई और कई घायल हुए। हम आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों, जिसमें आतंकियों का सीमा-पार आवागमन, आतंकवाद को वित्तीय सहायता और सुरक्षित पनाहगाहों का खात्मा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।” नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की और आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता या सभ्यता से जोड़ने से इनकार किया।
भारत का मजबूत पक्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन के ‘शांति और सुरक्षा’ सत्र में आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे गंभीर चुनौती बताते हुए कहा, “पहलगाम आतंकी हमला न केवल भारत पर, बल्कि पूरी मानवता पर हमला था। आतंकवाद की निंदा हमारा सिद्धांत होना चाहिए, न कि सुविधा।” उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान और उसके समर्थकों पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद को राजनीतिक या व्यक्तिगत हितों के लिए समर्थन देना अस्वीकार्य है।
मोदी ने यह भी जोर दिया कि आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए और आतंकवाद के पीड़ितों और समर्थकों को एक ही तराजू पर नहीं तौला जा सकता। उन्होंने वैश्विक समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट कार्रवाई की अपील की।
पाकिस्तान को कड़ा संदेश
हालांकि घोषणापत्र में पाकिस्तान का नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया, लेकिन सीमा-पार आतंकवाद और सुरक्षित पनाहगाहों का उल्लेख भारत के लंबे समय से चले आ रहे रुख को दर्शाता है, जिसमें वह पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए जिम्मेदार ठहराता रहा है। भारत ने हमेशा से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाया है कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह और वित्तीय सहायता प्रदान करता है। पहलगाम हमले की जांच में भी आतंकियों के पाकिस्तान से संचार नोड्स का पता चला था।
चीन की भूमिका पर सवाल
प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से चीन पर भी निशाना साधा, जिसने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान स्थित आतंकियों को वैश्विक आतंकी घोषित करने के भारत के प्रयासों को बार-बार बाधित किया है। उन्होंने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ शब्दों और कार्यों में कोई अंतर नहीं होना चाहिए।”
ब्रिक्स के इस घोषणापत्र को भारत की कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि भारत ने चीन जैसे देशों की मौजूदगी के बावजूद आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख को स्वीकृति दिलाने में सफलता हासिल की।
वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत ने न केवल आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया, बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और ग्लोबल साउथ की मजबूत भागीदारी जैसे मुद्दों पर भी जोर दिया। भारत की यह कूटनीतिक जीत न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।