लखनऊ, 6 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश की सियासत में तंज और कटाक्ष का खेल हमेशा से जोरों पर रहा है, और इस बार फिर मैदान गरम है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है, जिसने यूपी की राजनीति में एक नया बवंडर खड़ा कर दिया है। मौर्य ने बिना नाम लिए, अपने चिर-परिचित अंदाज में, सपा और अखिलेश को निशाने पर लिया। उनके एक ताजा एक्स पोस्ट ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
मौर्य ने लिखा, “नेताजी ने 2012 में कच्चे आम को पका हुआ समझने की भूल की थी, और इस गलती का पछतावा उन्हें जीवन भर रहा।” भले ही मौर्य ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन सियासी पंडित इसे सीधे अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव से जोड़कर देख रहे हैं। यह तंज 2012 के उस फैसले की ओर इशारा करता है, जब मुलायम सिंह ने अखिलेश को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। मौर्य का यह बयान न सिर्फ सपा के नेतृत्व पर सवाल उठाता है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए बीजेपी की रणनीति का भी संकेत देता है।
कहां से शुरू हुआ ‘कच्चे आम’ का किस्सा?
दरअसल, यह सियासी ड्रामा अखिलेश यादव के एक एक्स पोस्ट से शुरू हुआ। 4 जुलाई को अखिलेश ने लिखा, “कच्चे आम कह रहे पकाओ मत।” यह पोस्ट बिना किसी संदर्भ के थी, लेकिन इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज माना गया। हाल ही में योगी आम महोत्सव में शामिल हुए थे, जहां उनकी एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वे दोनों हाथों में हरे-हरे आम लिए नजर आए। अखिलेश का यह तंज योगी के उस इवेंट से जोड़ा गया। लेकिन मौर्य ने इस मौके को लपकते हुए अखिलेश को ही ‘कच्चा आम’ करार दे दिया।
कांग्रेस ने भी भांजी तलवार
इस सियासी जंग में कांग्रेस भी कहां पीछे रहने वाली थी? कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने मौर्य के तंज का जवाब अपने अंदाज में दिया। उन्होंने कहा, “सिराथू की जनता ने कच्चे नींबू को संतरा समझने की भूल की थी, आज तक स्टूल पर बैठी है।” यह तंज मौर्य के सिराथू विधानसभा क्षेत्र से हारने की ओर इशारा करता है। राजपूत यहीं नहीं रुके, उन्होंने मौर्य को नसीहत देते हुए कहा, “केशव, अपनी नहीं तो कम से कम जनता के लिए उठो और लड़ो, क्योंकि जिनसे तुम्हें लड़ना है, वो तुम्हारे अपने हैं।” यह बयान बीजेपी के अंदरूनी सियासी खींचतान की ओर भी इशारा करता है।
आगामी चुनावों की रणनीति?
मौर्य का यह तंज न सिर्फ सपा को निशाना बनाता है, बल्कि आगामी चुनावों के लिए बीजेपी की रणनीति को भी उजागर करता है। यूपी में 2027 के विधानसभा चुनाव भले ही दूर हों, लेकिन सियासी दल अभी से मैदान तैयार करने में जुट गए हैं। मौर्य का यह बयान सपा के पुराने फैसलों को कुरेदकर विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश माना जा रहा है। वहीं, अखिलेश का ‘कच्चा आम’ वाला तंज योगी सरकार पर हमले की उनकी रणनीति का हिस्सा है।
सियासत का तड़का
यूपी की सियासत में यह तंजबाजी नई नहीं है, लेकिन ‘कच्चे आम’ और ‘नींबू-संतरा’ जैसे बयानों ने इसे और भी रंगीन बना दिया है। मौर्य और अखिलेश के बीच यह शब्दों की जंग न सिर्फ नेताओं के बीच तकरार को दर्शाती है, बल्कि जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गई है। अब देखना यह है कि इस सियासी आम के खेल में कौन ‘पका’ साबित होता है और कौन ‘कच्चा’ रह जाता है।
क्या यह तंजबाजी सिर्फ हल्का-फुल्का कटाक्ष है या इसके पीछे कोई गहरी सियासी चाल? जवाब तो वक्त ही देगा, लेकिन तब तक यूपी की सियासत में यह ‘आम’ और ‘नींबू’ वाली जंग चर्चा का केंद्र बनी रहेगी।