मथुरा, 5 जुलाई 2025: वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण की नगरी, इन दिनों एक बड़े विवाद के केंद्र में है। मामला है प्रस्तावित बांकेबिहारी कॉरिडोर का, जिसे लेकर स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच तनातनी चल रही है। इस बीच, मथुरा से भाजपा सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी का एक बयान आग में घी डालने का काम कर रहा है। एक वायरल वीडियो में हेमा मालिनी ने कहा, “बांकेबिहारी कॉरिडोर तो बनकर रहेगा। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे वृंदावन छोड़कर कहीं और चले जाएं।” इस बयान ने न केवल स्थानीय लोगों के गुस्से को भड़काया है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उनकी तीखी आलोचना हो रही है।
क्या है बांकेबिहारी कॉरिडोर का मुद्दा?
बांकेबिहारी मंदिर, वृंदावन का दिल, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। प्रस्तावित कॉरिडोर का उद्देश्य मंदिर के आसपास की व्यवस्था को सुधारना, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाना और पर्यटन को प्रोत्साहन देना है। लेकिन इस योजना का दूसरा पहलू यह है कि इसके रास्ते में आने वाले 275 भवनों और दुकानों पर खतरा मंडरा रहा है। 2023 में किए गए सर्वे के आधार पर प्रशासन ने इनमें से 70 भवनों का सत्यापन पूरा कर लिया है और बाकी का काम जारी है। सत्यापन में भवनों का क्षेत्रफल, मालिकाना हक और किरायेदारों की जानकारी जुटाई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कॉरिडोर निर्माण को हरी झंडी दे दी है, लेकिन स्थानीय लोग इस बात से नाराज हैं कि इससे उनकी जमीन और आजीविका छिन सकती है। विरोध करने वालों का कहना है कि उनके घर-दुकानें उजड़ जाएंगी, जबकि समर्थक मानते हैं कि कॉरिडोर से वृंदावन का विकास होगा और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
हेमा मालिनी का बयान क्यों बना विवाद का केंद्र?
हेमा मालिनी का बयान, “जो विरोध कर रहे हैं, वे वृंदावन छोड़ दें,” स्थानीय लोगों को नागवार गुजरा है। वृंदावन, जहां लोग अपनी आस्था और संस्कृति से गहरे जुड़े हैं, वहां से किसी को चले जाने की बात कहना भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे असंवेदनशील बयान बता रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि सांसद होने के नाते उन्हें स्थानीय लोगों की चिंताओं को समझना चाहिए था, न कि उन्हें शहर छोड़ने की सलाह देनी चाहिए थी।
प्रशासन का रुख और आगे की राह
जिला प्रशासन इस प्रोजेक्ट को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। एडीएम एफआर डॉ. पंकज वर्मा के अनुसार, सर्वे और सत्यापन का काम व्यवस्थित तरीके से चल रहा है। लेकिन मंदिर के सेवादारों और प्रशासन के बीच कुछ मतभेद भी सामने आए हैं। इसके बावजूद, प्रशासन का कहना है कि कॉरिडोर बनना तय है।
विकास या विस्थापन?
बांकेबिहारी कॉरिडोर का मामला विकास और विस्थापन के बीच एक नाजुक संतुलन का सवाल उठाता है। एक तरफ वृंदावन को विश्वस्तरीय धार्मिक स्थल बनाने की योजना है, तो दूसरी तरफ स्थानीय लोगों की आजीविका और भावनाएं दांव पर हैं। सवाल यह है कि क्या इस कॉरिडोर का निर्माण सभी पक्षों को साथ लेकर हो पाएगा, या यह विवाद और गहराएगा?
हेमा मालिनी के बयान ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। अब देखना यह है कि प्रशासन और सरकार इस तनाव को कैसे सुलझाते हैं। क्या वृंदावन में आस्था और विकास का मेल हो पाएगा, या यह विवाद और उलझेगा? समय ही इसका जवाब देगा।