नई दिल्ली, 5 जुलाई 2025: चीन ने भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने से रोकने की एक और कोशिश की है। हाल की खबरों के अनुसार, चीन ने भारत को जरूरी मशीनों और पार्ट्स की डिलीवरी रोक दी है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, फॉक्सकॉन, जो एपल के लिए आईफोन का उत्पादन करती है, ने भारत में अपने कारखानों से 300 से अधिक चीनी इंजीनियर्स और टेक्नीशियनों को वापस बुला लिया है। इस कदम से भारत में आईफोन 17 के उत्पादन में देरी की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, भारत ने इस चुनौती का सामना करने के लिए मजबूत बैकअप योजनाएं तैयार की हैं, जो चीन की इस रणनीति को नाकाम करने में सक्षम हैं।
चीन की रणनीति: भारत की प्रगति पर प्रहार
ब्लूमबर्ग और अन्य विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार, चीन ने पिछले दो महीनों में फॉक्सकॉन के 300 से अधिक इंजीनियर्स को भारत से वापस बुलाया है। ये इंजीनियर तमिलनाडु और कर्नाटक में फॉक्सकॉन के कारखानों में कार्यरत थे, जहां वे भारतीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने और तकनीकी हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। इसके अलावा, चीन ने भारत को जरूरी मशीनों और रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह कदम भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक मजबूत खिलाड़ी बनने से रोकने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
चीन की यह चाल उस समय सामने आई है, जब भारत वैश्विक आईफोन उत्पादन का लगभग 20% हिस्सा संभाल रहा है। फॉक्सकॉन ने हाल ही में बेंगलुरु के पास अपने देवनहल्ली प्लांट में 2.56 अरब डॉलर का निवेश किया है, जो भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
भारत का दमदार जवाब
चीन की इस रणनीति के बावजूद, भारत ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग योजनाओं को पटरी से उतरने नहीं दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने पहले से ही ऐसी चुनौतियों के लिए बैकअप योजनाएं तैयार की हैं। भारतीय इंजीनियरों और टेक्नीशियनों को तेजी से प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे स्वतंत्र रूप से उच्च तकनीक वाले उत्पादों का निर्माण कर सकें। सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल ने स्थानीय प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और आपूर्ति श्रृंखला में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने चीन के इस कदम को नाकाम करने के लिए ताइवानी और अन्य अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ सहयोग बढ़ाया है। फॉक्सकॉन के कारखानों में ताइवानी सपोर्ट स्टाफ अभी भी मौजूद है, जो उत्पादन प्रक्रिया को सुचारू रखने में मदद कर रहा है।
एपल की भारत में प्रतिबद्धता
एपल ने भारत को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की योजना बनाई है। कंपनी की योजना है कि 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले सभी आईफोन भारत में असेंबल किए जाएं। वर्तमान में, भारत में हर साल लगभग 4 करोड़ आईफोन यूनिट्स का उत्पादन होता है, जो वैश्विक उत्पादन का 15% है।
चीन के इस कदम से अल्पकालिक चुनौतियां जरूर सामने आ सकती हैं, लेकिन भारत की मजबूत नीतियां और कुशल कार्यबल इसे लंबे समय में नाकाम कर देगा। फॉक्सकॉन और एपल ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों कंपनियां भारतीय कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
चीन की रणनीति का वैश्विक प्रभाव
चीन का यह कदम न केवल भारत, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत में आईफोन का उत्पादन धीमा होता है, तो इसकी कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिसका असर अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों पर भी पड़ेगा। हालांकि, भारत सरकार और उद्योग जगत इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए तैयार हैं। भारत ने पहले भी रेयर अर्थ और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में चीन की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का सामना किया है और हर बार मजबूती से उभरा है।
भारत का भविष्य उज्ज्वल
चीन की यह चाल भारत की प्रगति को रोकने में असफल रहेगी, क्योंकि भारत ने वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में मजबूत कदम उठाए हैं। सरकार की नीतियां, कुशल कार्यबल, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग भारत को इस चुनौती से निपटने में सक्षम बनाते हैं। ‘मेड इन इंडिया’ आईफोन की गूंज न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है, और यह गूंज चीन की किसी भी चाल को मात देने के लिए काफी है।
भारत न केवल अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ा रहा है, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है। यह समय है कि भारत अपनी ताकत का प्रदर्शन करे और दुनिया को दिखाए कि वह किसी भी बाधा को अवसर में बदल सकता है।