जौनपुर, 3 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के जौनपुर से सनसनीखेज खबर सामने आई है। 15 साल पुराने दोहरे हत्याकांड मामले में पूर्व बसपा सांसद धनंजय सिंह को बड़ी राहत मिली है। गुरुवार को एडीजे प्रथम की कोर्ट ने धनंजय सिंह समेत चारों आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सीबीसीआईडी के सभी गवाह अपने बयानों से मुकर गए, जिसके चलते सबूतों के अभाव में आरोपियों को दोषमुक्त किया गया।
यह मामला 1 अप्रैल 2010 का है, जब केराकत कोतवाली क्षेत्र के बेलाव घाट के पास ठेकेदारी विवाद में दिनदहाड़े ताबड़तोड़ गोलीबारी हुई थी। इस घटना में नंदलाल निषाद और संजय निषाद की गोली लगने से मौत हो गई थी। हत्याकांड के बाद तत्कालीन बसपा सांसद धनंजय सिंह, पुनीत सिंह, आशुतोष सिंह और एक अन्य व्यक्ति को आरोपी बनाया गया था। शुरुआती पुलिस जांच में सभी को क्लीन चिट मिली थी, लेकिन बाद में सीबीसीआईडी ने मामले की जांच अपने हाथ में ली। सीबीसीआईडी ने चार्जशीट दाखिल की, लेकिन कोर्ट में सभी गवाह अपने बयानों से पलट गए और दावा किया कि उन्होंने घटना को नहीं देखा।
कोर्ट में दिनभर रहा सस्पेंस
गुरुवार को फैसले के दिन सुबह से ही जौनपुर कोर्ट परिसर में लोगों की भीड़ जमा थी। धनंजय सिंह के समर्थकों की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि क्या पूर्व सांसद को सजा होगी या राहत मिलेगी। दोपहर 3 बजे कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई, जहां धनंजय सिंह स्वयं मौजूद थे। कोर्ट ने गवाहों के बयानों और सबूतों की कमी को आधार मानते हुए सभी आरोपियों को बरी करने का ऐलान किया।
राजनीतिक साजिश थी, कोर्ट ने दिया न्याय
कोर्ट से बाहर निकलते ही धनंजय सिंह ने कहा, “इस हत्याकांड में मेरा कोई हाथ नहीं था। मुझे राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाया गया था। कोर्ट ने सच्चाई को पहचाना और हमें न्याय दिया।” उनके इस बयान ने मामले को और भी चर्चा में ला दिया है।
यह फैसला जौनपुर की सियासत में नई हलचल पैदा कर सकता है, क्योंकि धनंजय सिंह का क्षेत्र में खासा प्रभाव रहा है। इस मामले में कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सबूतों और गवाहों की विश्वसनीयता ही किसी केस की दिशा तय करती है।