वाराणसी, 2 जुलाई 2025: काशी की पवित्र धरती पर मंदिरों और स्कूलों के बीच शराब ठेका खोलने की योजना ने स्थानीय महिलाओं के सब्र का बांध तोड़ दिया। दुर्गाकुंड क्षेत्र के घसियारी टोला में सैकड़ों महिलाएं सड़कों पर उतर आईं और ‘मंदिर-विद्यालय के बीच नहीं चाहिए ठेका’ जैसे गगनभेदी नारों के साथ जोरदार विरोध दर्ज किया।
पवित्र स्थलों के बीच ठेके को लेकर रोष
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया कि प्रस्तावित शराब ठेके की जगह संकट मोचन मंदिर, दुर्गाकुंड मंदिर, मानस मंदिर और त्रिदेव मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों से घिरी हुई है। इसके अलावा, आसपास घनी आबादी, स्कूल और रिहायशी कॉलोनियां होने से यह इलाका बच्चों और परिवारों का केंद्र है। एक प्रदर्शनकारी ने गुस्से में कहा, “हमारे बच्चे स्कूल जाते हैं, हम मंदिरों में पूजा करते हैं। ऐसे पवित्र माहौल में शराब का ठेका कैसे बर्दाश्त करें?”
पुलिस-प्रशासन के सामने महिलाओं का हौसला
विरोध की सूचना मिलते ही ACP भेलूपुर, थाना प्रभारी और महिला पुलिस बल के साथ भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों पर अडिग रहीं। प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी वाराणसी को एक पत्र सौंपकर ठेका खोलने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि उनकी बात नहीं सुनी गई, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
स्थानीय लोगों में अपराध का डर
स्थानीय निवासियों का कहना है कि शराब ठेका खुलने से क्षेत्र में अपराध, असुरक्षा और सामाजिक विघटन का खतरा बढ़ेगा। एक निवासी ने कहा, “यहां मंदिरों का आध्यात्मिक माहौल है। ठेका खुला तो नशे में लोग माहौल खराब करेंगे।”
प्रशासन का मौन, जनता की नजर
प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। विरोध प्रदर्शन भले ही शांतिपूर्ण रहा, लेकिन यह स्पष्ट है कि घसियारी टोला की महिलाएं अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने वाली नहीं हैं। अब सबकी नजर प्रशासन के अगले कदम पर टिकी है। क्या काशी की पवित्रता बरकरार रहेगी, या शराब ठेके का रास्ता साफ होगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।