नई दिल्ली, 28 जून 2025: छह साल के लंबे इंतजार के बाद शिवभक्तों के लिए आध्यात्मिक आनंद का क्षण आ गया है। पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू हो चुकी है, और 15 जून से शुभारंभ हुए यात्रा के पहले जत्थे ने कैलाश पर्वत की परिक्रमा पूरी कर भगवान शिव के पावन धाम के दर्शन किए। इस बार 750 भाग्यशाली तीर्थयात्रियों को इस कठिन मगर अलौकिक यात्रा में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
महादेव का पवित्र धाम: कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील
हिमालय की गोद में बसा कैलाश पर्वत, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती का निवास माना जाता है, समुद्र तल से 21,000 फीट की ऊंचाई पर विराजमान है। इसके पास ही पवित्र मानसरोवर झील और राक्षस ताल झील स्थित हैं। मानसरोवर, जिसे ब्रह्मा के मन से उत्पन्न माना जाता है, अपने मीठे और पवित्र जल के लिए विख्यात है। यहां से सरयू, सतलुज, सिंधु और ब्रह्मपुत्र जैसी पवित्र नदियां निकलती हैं। सनातन धर्म के साथ-साथ जैन, बौद्ध और सिख धर्मावलंबियों के लिए भी यह स्थल असीम श्रद्धा का केंद्र है।
यात्रा की चुनौतियां, भक्ति का जज्बा
कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया की सबसे कठिन तीर्थयात्राओं में से एक है। उत्तराखंड के लिपुलेख और सिक्किम के नाथुला दर्रों से होकर गुजरने वाला यह मार्ग ऊंचाई, कठिन रास्तों और मौसम की चुनौतियों से भरा है। यात्रियों का चयन लॉटरी प्रणाली से किया जाता है, जिससे केवल चुने हुए भक्त ही इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बन पाते हैं।
यात्रा से लौटे शिवभक्तों के चेहरों पर अलौकिक आनंद साफ झलक रहा था। दिल्ली के एक यात्री ने भावुक होकर कहा, “जहां भोलेनाथ का वास है, वहां सारी दुनिया की चिंताएं गायब हो जाती हैं।” एक अन्य यात्री ने बताया, “महादेव की कृपा से कोई कष्ट नहीं हुआ। यह अनुभव शब्दों से परे है।” इस बार विदेशी भक्तों ने भी उत्साहपूर्वक यात्रा में हिस्सा लिया, जिससे इस तीर्थ का वैश्विक महत्व और बढ़ गया।
कैलाश का धार्मिक महत्व
कैलाश पर्वत को सनातन धर्म में ‘देवों के देव’ महादेव का निवास माना जाता है, जबकि मानसरोवर झील को क्षीर सागर कहा जाता है। यह स्थल न केवल हिंदुओं, बल्कि जैन, बौद्ध और सिख समुदायों के लिए भी पवित्र है। कैलाश के दर्शन को भारतीय दर्शन का हृदय माना जाता है, जहां हर भक्त को आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव होता है।
छह साल बाद दोबारा शुरू हुई इस यात्रा ने लाखों शिवभक्तों के दिलों में नई उम्मीद जगाई है। ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष के साथ यह तीर्थयात्रा एक बार फिर विश्वभर के भक्तों को अपनी ओर खींच रही है।