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Friday, June 27, 2025

यादवों ने पहले मुस्लिमों का हक छीना, अब ब्राह्मणों की बारी: ओपी राजभर का अखिलेश पर तीखा हमला

लखनऊ, 27 जून 2025: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। राजभर ने अखिलेश पर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के हक को लूटने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सपा ने पहले मुस्लिमों और अति पिछड़ों का हक छीना और अब ब्राह्मणों के अधिकारों पर नजर गड़ाए हुए है।

‘सपा ने लूटा पीडीए का हक’

इटावा में हाल ही में हुई बाल काटने की घटना पर अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए राजभर ने कहा, “पीडीए का हक किसने लूटा? मुसलमान और अति पिछड़े भी पीडीए का हिस्सा हैं। 27 फीसदी आरक्षण का हक किसने छीना? सपा बस पीडीए-पीडीए चिल्लाती है, लेकिन हकीकत में इनका हक लूटा गया।” राजभर ने तंज कसते हुए कहा कि अखिलेश को बताना चाहिए कि जब सपा की सरकार थी, तब 86 में से 56 एसडीएम पद अकेले यादवों को क्यों दिए गए?

‘मुसलमानों से कहा जाता है- चुपचाप वोट दो’

राजभर ने सपा पर मुस्लिम समुदाय को ठगने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “18 फीसदी मुस्लिम वोट सपा को मिलता है, लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ वोट देने को कहा जाता है। हक मांगने की बात आती है तो चुप रहने को कहा जाता है।” राजभर ने कांग्रेस सांसद इमरान मसूद के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने सपा में मुस्लिमों को ‘गुलाम’ बताया था। राजभर ने चुनौती दी, “अगर मुस्लिम समाज का कोई नेता लीडर बनकर बोलना चाहता है, तो वह मांग करे कि 2027 में अगर सपा की सरकार बनी, तो मुस्लिम समाज का बेटा मुख्यमंत्री बने।”

‘यादवों की चालाकी और ब्राह्मणों का हक’

राजभर ने सपा पर यादवों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा, “कुछ यादव इतने चालाक हो गए हैं कि पहले अति पिछड़ों और मुस्लिमों का हक छीना, अब ब्राह्मणों के अधिकारों पर नजर है।” उन्होंने मांग की कि 27 फीसदी आरक्षण का कोटा अति पिछड़ों के लिए लागू किया जाए। राजभर ने संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल जैसे नेताओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये सभी पीडीए का हिस्सा हैं, जिनके हक को सपा ने हमेशा दबाया।

सियासी घमासान तेज

राजभर के इस बयान ने उत्तर प्रदेश की सियासत में नया तूफान खड़ा कर दिया है। सपा और सुभासपा के बीच पहले गठबंधन की दोस्ती और अब दुश्मनी की कहानी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। क्या यह बयान 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले सियासी समीकरण बदल देगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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