नई दिल्ली, 26 जून 2025: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर फिर से अपनी बेबाक और सख्त नीति का परिचय दिया। चीन के किंगदाओ में गुरुवार को आयोजित इस बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने न केवल पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से मुलाकात से इनकार किया, बल्कि जॉइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने से भी मना कर दिया। इसका कारण था स्टेटमेंट में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले का जिक्र न होना, जबकि बलूचिस्तान की एक घटना को इसमें शामिल किया गया।
पहलगाम हमले पर भारत की नाराजगी
बैठक में राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पहलगाम में हुआ आतंकी हमला लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों की करतूत का हिस्सा है, जिसका पैटर्न पहले के हमलों से मिलता-जुलता है। उन्होंने जोर देकर कहा, “कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति का हिस्सा मानते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं, लेकिन बाद में इसे नकारते हैं। ऐसे दोहरे मापदंड को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र
राजनाथ ने बताया कि सीमा पार से आतंकवाद को रोकने के लिए भारत ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया था। उन्होंने चेतावनी दी कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और SCO को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। भारत के इस रुख ने बैठक में साफ संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति में कोई समझौता नहीं होगा।
पाकिस्तान से दूरी
बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की मौजूदगी के बावजूद राजनाथ सिंह ने उनसे किसी भी तरह की औपचारिक या अनौपचारिक मुलाकात से परहेज किया। सूत्रों के मुताबिक, भारत का यह कदम पाकिस्तान के आतंकवाद को लेकर अस्पष्ट रवैये के खिलाफ एक मजबूत संदेश है।
जॉइंट स्टेटमेंट पर भारत का इनकार
जॉइंट स्टेटमेंट में पहलगाम हमले का जिक्र न होने पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया। भारत ने माना कि यह एकपक्षीय दृष्टिकोण है, जिसमें बलूचिस्तान की घटना को शामिल किया गया, लेकिन भारत में हुए आतंकी हमले को नजरअंदाज किया गया। इस असंतुलन के विरोध में भारत ने स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया।
वैश्विक मंच पर भारत का संदेश
राजनाथ सिंह के इस रुख ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर भारत के आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। SCO को इसे स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए और दोषी देशों को जवाबदेह ठहराना चाहिए।”
यह घटनाक्रम भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव का एक और अध्याय जोड़ता है, खासकर तब जब दोनों देश एक ही मंच पर मौजूद थे। भारत के इस साहसिक कदम ने SCO के अन्य सदस्य देशों को भी आतंकवाद के मुद्दे पर गंभीरता से सोचने के लिए मजबूर किया है।