नई दिल्ली, 26 जून 2025: भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 1975 का आपातकाल एक ऐसा काला अध्याय है, जिसे भूल पाना असंभव है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने देश को तानाशाही के अंधेरे में धकेल दिया था। सत्ता के मद में चूर इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र की हत्या कर, संविधान का दुरुपयोग किया और देश को जेलखाना बना दिया। आज, कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी से देश की 140 करोड़ जनता मांग कर रही है कि वे अपने परिवार और पार्टी के इन जघन्य अपराधों के लिए सार्वजनिक माफी मांगें।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और सत्ता का दुरुपयोग
1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के चुनाव को भ्रष्ट तरीकों से जीता हुआ घोषित करते हुए अमान्य करार दिया था। लेकिन सत्ता छोड़ने की बजाय, इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर संविधान को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। प्रेस की स्वतंत्रता पर ताला लगा, सेंसरशिप लागू की गई, और लाखों नागरिकों को बिना वारंट जेलों में ठूंस दिया गया। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडीस जैसे दिग्गज नेताओं को भी जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया।
न्यायपालिका और संसद पर हमला
आपातकाल में न्यायपालिका को कमजोर किया गया और संसद को कांग्रेस की कठपुतली बना दिया गया। चुनी हुई लोकसभा और विधानसभाओं का कार्यकाल बदलकर लोकतंत्र की नींव को हिलाने का घिनौना प्रयास किया गया। यह वही दौर था, जब अंग्रेजों की गुलामी की यादें ताजा हो गईं, क्योंकि आजाद भारत में कांग्रेस ने नागरिकों पर वैसा ही जुल्म ढाया, जैसा कभी अंग्रेजी हुकूमत ने किया था।
लोकतंत्र के लिए संघर्ष: जनसंघ और RSS की भूमिका
इस काले दौर में भारतीय जनसंघ (वर्तमान भाजपा का पूर्व रूप) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवकों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए ऐतिहासिक संघर्ष किया। हजारों स्वयंसेवक जेलों में बंद रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी कुर्बानी ने देश को तानाशाही के चंगुल से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई।
1977: जनता का जनादेश
देश की जागरूक जनता ने 1977 के चुनाव में कांग्रेस के अहंकार को चूर-चूर कर दिया। जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर लोकतंत्र की ताकत का परिचय दिया। लेकिन आज भी कांग्रेस और गांधी परिवार की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं दिखता।
राहुल गांधी और कांग्रेस की पुरानी परंपरा
कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी आज भी उसी तानाशाही और अहंकारी सोच का अनुसरण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री पद का अपमान, संविधान को ताक पर रखकर तुष्टिकरण की नीति, गैर-संवैधानिक धार्मिक आरक्षण, और विदेशी टूलकिट के इशारे पर देश की छवि को बदनाम करने जैसे कृत्य उनकी कार्यशैली का हिस्सा बने हुए हैं। दलितों, ओबीसी और पिछड़ों के अधिकारों का हनन करने का कांग्रेस का इतिहास रहा है, और राहुल गांधी उसी राह पर चल रहे हैं।
जनता की मांग: माफी मांगें राहुल गांधी
1975 के आपातकाल ने भारत की अस्मिता को गहरी चोट पहुंचाई। यह वह दौर था, जिसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार किया। देश की 140 करोड़ जनता आज राहुल गांधी और कांग्रेस से मांग करती है कि वे अपने परिवार और पार्टी के काले कारनामों के लिए माफी मांगें। क्या राहुल गांधी देश के सामने झुककर अपने दादी और पार्टी के पापों का प्रायश्चित करेंगे? यह सवाल आज हर भारतीय के मन में है।
लोकतंत्र की जीत
भारत का लोकतंत्र अपनी जड़ों में मजबूत है। 1975 का आपातकाल और कांग्रेस की तानाशाही जनता की ताकत के सामने टिक नहीं सकी। आज भी देश की जनता सजग है और लोकतंत्र के दुश्मनों को कभी माफ नहीं करेगी।