प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में लिया गया ऐतिहासिक निर्णय, आलू के साथ अन्य कंदीय फसलों की गुणवत्ता पर होगा जोर
नई दिल्ली, 25 जून 2025: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को ऐलान किया कि उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के सिंगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है, जिसे श्री चौहान ने खाद्य सुरक्षा और कृषि विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम करार दिया।
दिल्ली में मीडिया से बातचीत में शिवराज सिंह ने कहा कि आलू, गेहूं और चावल के बाद विश्व में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है। भारत, चीन के बाद आलू उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने बताया कि भारत में मुख्य रूप से टेबल वैरायटी आलू का उत्पादन होता है, लेकिन वैश्विक निर्यात बाजार में प्रोसेसिंग के लिए उपयुक्त किस्मों की मांग है। इस केंद्र के जरिए उच्च उत्पादकता वाले बीज, जलवायु अनुकूल, रोग-प्रतिरोधी, और बायोफोर्टिफाइड आलू की किस्में विकसित की जाएंगी। खास तौर पर ऐसी वैरायटियां तैयार होंगी, जो मधुमेह रोगियों के लिए भी उपयुक्त हों।
आगरा क्यों?
शिवराज सिंह ने बताया कि देश में 34% आलू उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है, जिसमें आगरा और आसपास के क्षेत्र अग्रणी हैं। इसलिए, इस केंद्र के लिए आगरा को चुना गया। यह केंद्र न केवल आलू, बल्कि शकरकंद जैसी अन्य कंदीय फसलों के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को भी बढ़ावा देगा। खासकर विंध्य पर्वत के दक्षिणी क्षेत्रों में आलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों के अनुकूल किस्में विकसित की जाएंगी।
समन्वय समिति का गठन
केंद्र के सुचारू संचालन के लिए एक समन्वय समिति का गठन होगा, जिसमें भारत सरकार के कृषि सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक शामिल होंगे। श्री चौहान ने स्पष्ट किया कि इस केंद्र के माध्यम से विकसित सभी आलू किस्मों पर भारत सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा।
किसानों और खाद्य सुरक्षा को मिलेगा बल
यह केंद्र न केवल आलू उत्पादन में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा और निर्यात बाजार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। शिवराज सिंह ने कहा, “यह केंद्र भारतीय किसानों के लिए एक वरदान साबित होगा और देश को वैश्विक कृषि मानचित्र पर और सशक्त बनाएगा।”
आगरा में इस केंद्र की स्थापना से न केवल स्थानीय किसानों को लाभ होगा, बल्कि दक्षिण एशिया में आलू अनुसंधान और उत्पादन के क्षेत्र में भारत की अगुवाई भी सुनिश्चित होगी।