अयोध्या, 25 जून 2025: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं का दान का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। इस बीच, एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि मुंबई के एक गुमनाम उद्यमी ने मंदिर के लिए 175 किलो सोना, यानी करीब 150 करोड़ रुपये का गुप्तदान दिया है। इस स्वर्ण से मंदिर के शिखर-कलश, दरवाजे और चौखट को भव्यता प्रदान की गई है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के आमंत्रित सदस्य और मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव ने इस दान की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि यह उद्यमी अपनी पहचान गोपनीय रखना चाहता था, और तीर्थ क्षेत्र ने उसकी शर्त को स्वीकार किया। राव ने यह खुलासा तब किया, जब एक अन्य श्रद्धालु ने 10 करोड़ के दान के बदले प्रेक्षागृह के नामकरण की मांग की। राव ने कहा, “जब 175 किलो सोना दान करने वाले ने अपना नाम तक नहीं बताया, तो 10 करोड़ के दान पर नामकरण कैसे संभव है? राम मंदिर में 10 करोड़ से अधिक दान करने वालों की संख्या सैकड़ों में है।”
50 करोड़ का सोना शिखर-कलश पर, 175 किलो का उपयोग मंदिर में
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के अनुसार, राम मंदिर के शिखर-कलश को स्वर्ण मंडित करने में करीब 50 करोड़ रुपये का सोना लगा है। कुल मिलाकर, मंदिर और परकोटे के छह मंदिरों में अब तक 175 किलो सोने का उपयोग हो चुका है। शेषावतार मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित करने का काम अभी जारी है।
रामलला की संपत्ति और पुराने आभूषण
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया और रामलला की 70 एकड़ जमीन के साथ उनकी चल-अचल संपत्ति भी सौंप दी। इसमें सोने-चांदी के आभूषण और बैंक में जमा राशि शामिल थी, हालांकि इसका ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया गया।
42 दिन में जुटे साढ़े तीन हजार करोड़
तीर्थ क्षेत्र ने मंदिर निर्माण के लिए 42 दिन का समर्पण अभियान चलाया था, जिसमें साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र हुई। दान में धातुओं के समर्पण के लिए तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र में विशेष काउंटर भी बनाए गए हैं।
महावीर मंदिर ट्रस्ट का योगदान
पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव और पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने सबसे पहले 10 करोड़ रुपये दान करने की घोषणा की थी। यह राशि उन्होंने पांच साल में दो-दो करोड़ की किश्तों में दी। उन्होंने गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने की पेशकश भी की थी, लेकिन तीर्थ क्षेत्र ने इसे अस्वीकार कर दिया।
तीन जून से पांच जून तक प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव
राम मंदिर में हाल ही में तीन से पांच जून तक दूसरा प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव मनाया गया। इस दौरान प्रथम तल पर राम दरबार, शेषावतार मंदिर और परकोटे के छह मंदिरों में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की स्थापना हुई। इस अवसर पर मंदिर के शिखर-कलश को स्वर्ण मंडित करने का कार्य भी तेजी से हुआ।
राम मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं का यह समर्पण न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि मंदिर की भव्यता को और बढ़ाने वाला है। गुमनाम दानदाताओं की यह श्रृंखला रामभक्ति की अनूठी मिसाल पेश कर रही है।