वाराणसी, 23 जून 2025: उत्तर प्रदेश पुलिस की “जीरो टॉलरेंस” नीति ने एक बार फिर अपराधियों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया है। वाराणसी पुलिस ने 27 साल पुराने सनसनीखेज हैरिटेज हॉस्पिटल हत्याकांड के मुख्य आरोपी, 50,000 रुपये के इनामी बदमाश कल्लू सिंह उर्फ त्रिभुवन सिंह को गुजरात से धर दबोचा। इस गिरफ्तारी ने न केवल एक दशकों पुराने मामले में न्याय की उम्मीद जगाई है, बल्कि यह भी साबित किया कि कानून की लंबी भुजा से कोई नहीं बच सकता।
1997 का वो खौफनाक मंजर
17 अप्रैल 1997 को वाराणसी के हैरिटेज हॉस्पिटल के प्रशासनिक अधिकारी विधानचंद तिवारी (27) अपनी मारुति जैन गाड़ी के बोनट पर फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे थे। तभी दो अज्ञात हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। तिवारी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य लोग, राजेश कुमार और महन्थ यादव, गंभीर रूप से घायल हो गए। उसी दिन नैपुरा कला में एक और गोलीबारी में मायाराम उर्फ मायालू को निशाना बनाया गया। इन दोहरे हमलों ने पूरे शहर में दहशत फैला दी थी।
पुलिस ने इस मामले में थाना लंका में मुकदमा संख्या 0058/1997 (धारा 307/302 भा.द.वि.) और 0058ए/1997 (धारा 307 भा.द.वि.) दर्ज किया। जांच में दो नाम उभरे- बालेन्द्र सिंह उर्फ बल्ला और कल्लू सिंह उर्फ त्रिभुवन। जहां बल्ला चंदौली पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया, वहीं कल्लू सिंह फरार हो गया और गुजरात में छिपकर नई पहचान के साथ जिंदगी बिता रहा था।
27 साल की मशक्कत, आखिर मिली कामयाबी
कल्लू सिंह पर कोर्ट ने धारा 299 सीआरपीसी के तहत स्थायी वारंट जारी किया था, लेकिन वह पुलिस की पकड़ से बाहर था। हाल ही में मिली गुप्त सूचना के आधार पर थाना लंका की पुलिस टीम ने गुजरात में छापेमारी की। प्रभारी निरीक्षक शिवाकान्त मिश्र के नेतृत्व में उपनिरीक्षक सिद्धान्त कुमार राय, कांस्टेबल विजय कुमार सिंह और विजय कुमार शुक्ला ने अभियुक्त की पहचान पक्की कर उसे हिरासत में लिया। आरोपी ने पूछताच में अपने गुनाह कबूल किए।
पुलिस का सख्त संदेश
वाराणसी के पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने इसे “न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम” करार देते हुए कहा, “चाहे कितना भी समय बीत जाए, अपराधी कानून की पकड़ से नहीं बच सकता। जघन्य अपराधों के खिलाफ हमारी कार्रवाई जारी रहेगी।”
यह गिरफ्तारी उस दुखद हादसे के पीड़ितों के परिवारों के लिए राहत की सांस लेकर आई है, जिन्हें 27 साल से इंसाफ का इंतज़ार था। वाराणसी पुलिस की इस कामयाबी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अपराध का कोई भी हिसाब बाकी नहीं रहता।