नई दिल्ली, 23 जून 2025: मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान से फोन पर बात कर भारत की स्थिति साफ कर दी। ईरान-इज़रायल तनाव और अमेरिका के हालिया हमलों के बाद हुई इस चर्चा में पीएम मोदी ने “संवाद और कूटनीति” को एकमात्र रास्ता बताया, साथ ही क्षेत्र में शांति और स्थिरता की तत्काल बहाली की अपील की।
अमेरिकी हमले के बाद बढ़ा संकट
यह बातचीत तब हुई, जब अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान—पर हवाई हमले किए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि ये ठिकाने “पूरी तरह नष्ट” हो गए, जबकि ईरान ने इसे “संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन” करार दिया। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी कि इस हमले के “स्थायी परिणाम” होंगे।
मोदी का शांति संदेश
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के मुताबिक, पीएम मोदी ने पेज़ेशकियान के साथ बातचीत में स्पष्ट किया कि भारत शांति और मानवता के पक्ष में है। उन्होंने कहा, “तनाव को तुरंत कम करने की जरूरत है। संवाद और कूटनीति ही आगे का रास्ता है।” मोदी ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा, “हमने वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। तनाव वृद्धि पर गहरी चिंता जताई।”
वैश्विक प्रतिक्रिया: दुनिया की नजर मध्य-पूर्व पर
अमेरिकी हमले ने मध्य-पूर्व में बड़े संघर्ष की आशंका को जन्म दिया है। रूस और चीन ने इसकी कड़ी निंदा की, इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत की मेज पर लौटने की अपील की।
भारत की संतुलित भूमिका
विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि भारत ने इस संकट में संतुलित रुख अपनाकर अपनी वैश्विक छवि को और मजबूत किया है। न तो इज़रायल के खिलाफ और न ही ईरान के पक्ष में कोई एकतरफा बयान देकर, भारत ने शांति और कूटनीति पर जोर देकर वैश्विक मंच पर अपनी विश्वसनीयता को रेखांकित किया है। क्या यह तनाव थमेगा, या मध्य-पूर्व में और गहराएगा संकट? पूरी दुनिया की निगाहें अब भारत जैसे तटस्थ देशों की भूमिका पर टिकी हैं।