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Sunday, June 22, 2025

सोनिया गांधी का अमेरिका पर करारा प्रहार: ‘ईरान पर हमला मानवता के खिलाफ, भारत की चुप्पी चिंताजनक’

नई दिल्ली, 22 जून 2025, रविवार: कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ईरान की धरती पर अमेरिकी एयरस्ट्राइक को लेकर आग उगलते हुए इसे ‘मानवता के खिलाफ जघन्य अपराध’ करार दिया है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से इन हमलों और ‘सुनियोजित हत्याओं’ की कड़ी निंदा करते हुए चेतावनी दी कि यह कार्रवाई मध्य-पूर्व में युद्ध की आग को और भड़काएगी, जिसके ‘विनाशकारी क्षेत्रीय और वैश्विक परिणाम’ होंगे।

‘गाजा की तरह ईरान में भी बेगुनाहों पर कहर’

सोनिया गांधी ने अमेरिकी हमलों की तुलना इजरायल द्वारा गाजा में की गई ‘अमानवीय बमबारी’ से करते हुए कहा कि दोनों ही मामलों में निर्दोष नागरिकों का जीवन खतरे में डाला जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह हिंसा न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को तहस-नहस कर रही है, बल्कि वैश्विक शांति के प्रयासों पर भी काला धब्बा है।”

‘द हिंदू’ में लेख: इजरायल-अमेरिका के दोहरे मापदंड बेनकाब

इससे पहले, सोनिया गांधी ने ‘द हिंदू’ अखबार में एक लेख के जरिए अमेरिका और इजरायल की नीतियों पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इजरायल खुद एक परमाणु शक्ति है, तो ईरान को क्यों बार-बार निशाना बनाया जा रहा है, जबकि उसके पास कोई परमाणु हथियार नहीं है। इसे ‘साफ दोहरा मापदंड’ बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाइयां अंतरराष्ट्रीय भरोसे को चकनाचूर कर रही हैं।

भारत की खामोशी पर सवाल, ट्रंप की नीतियों पर तंज

सोनिया ने अपने लेख में भारत की चुप्पी को ‘खतरनाक’ बताते हुए कहा कि ईरान भारत का ऐतिहासिक और भरोसेमंद मित्र रहा है। उन्होंने मांग की कि गाजा की तबाही और ईरान पर हमलों के खिलाफ भारत को ‘साहसी और स्पष्ट’ रुख अपनाना चाहिए।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “ट्रंप पहले ‘अमेरिका के अंतहीन युद्धों’ और ‘मिलिट्री-इंडस्ट्रियल लॉबी’ की आलोचना करते थे, लेकिन अब खुद उसी राह पर चल पड़े हैं।” उन्होंने इराक युद्ध का जिक्र करते हुए याद दिलाया कि ट्रंप स्वयं इसे ‘झूठे आरोपों’ पर आधारित मानते थे, फिर भी आज वे ईरान के खिलाफ उसी रास्ते पर हैं।

वैश्विक शांति के लिए आवाज

सोनिया गांधी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर है। उनके इस रुख ने न केवल अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा छेड़ दी है, बल्कि भारत की विदेश नीति पर भी सवाल खड़े किए हैं।

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