हसमुख उवाच
डंडा बड़ी महिमा मय वस्तु है, उदण्ड वयक्ती की सोई हुई बुद्धि डंडे की करामात से जाग जाती है, डंडे का जादुई प्रभाव होता है। डंडे के प्रयोग से भूत भी भाग जाते हैं, पुलिस का डंडा खूब प्रसिदध है,जिसके प्रयोग से पुलिस अपराधियों के मुंह खुलवा लेती है, दूसरी ओर डंडे के प्रयोग से मुंह बंद भी करवाए जा सकते हैं।
दण्ड और डंडा एक ही बिरादरी के दो रुप हैं, डंडे की ही बहन को लाठी भी कहा जाता है, दंड, डंडा और लाठी यह सभी एक ही कुनबा है, सभी की महिमा सभी ने गाई है, कानून में एक वाक्य सदा बोला जाता है कि ‘यह दंडनीय अपराध है ‘,इसका मतलब यह हुआ कि अपराध डंडे के प्रयोग के लायक है, इसमें डंडे का प्रयोग किया जा सकता है!
एक गीत प्राय:सभी ने सुना होगा कि ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा ‘,इस गीत में डंडे की ही महिमा छिपी है, झंडा हमेशा डंडे से ही ऊंचा हो सकता है, बिना डंडे के झंडा ऊंचा नही हो सकता, क्योंकि झंडा भी डंडे पर टिका रहता है, इसी प्रकार लाठी जो डंडे की बहन है उसकी महिमा का वर्णन महाकवि घाघ ने अपनी कविता में इस प्रकार किया है कि _’लाठी में गुन बहुत हैं, सदा राखियो संग, गहरो नदी नाला जंहा, तहां बचावे अंग ‘
घाघ ने लाठी की उपरोक्त महिमा में यह भी बताया है कि डंडे की बहन लाठी गहरे नदी नालों में ही बचाव नहीं करती वरन यदि कही कोई गुस्से बाज कुत्ता भी मिले तो उस पर भी झपट कर वार भी करती है।
डंडे के प्रयोग को ‘बल प्रयोग ‘भी कहा जाता है, जिसका अर्थ यही होता है कि डंडा बल का पर्यायवाची है, जिसके पास डंडा है उसके पास बल है, डंडे के बिना मनुष्य बलहीन है,विधान या कानून में भी कहा जाता है ‘दंड विधान ‘यानि वह विधान जो डंडे के बिना अधूरा है!
पहले जमाने में सेनाएं शत्रु पर हमला करती थीं, राज्य और किले पर कब्जा करती थीं, कब्जे को विजय के रूप में माना और समझा जाता था, इसके लिये जीते हुए किलों और महलों पर विजय पताकाएं फहराई जाती थीं, उन विजय पताकाओं का ध्वज डंडे पर ही टिका रहता था, डंडा हीन आदमी दुर्बल माना जाता है, डंडे का प्रयोग न करना भी प्राय:लोग कायरता की श्रेणी में रेखाकित करते है!
डंडे का पूरा कुनबा चाहे उसे दंड कहा जाए या लाठी कहा जाए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, एक कहावत भी है कि ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस ‘मतलब कि जिसके पास भी डंडे की बहन लाठी का जलवा है वह पराई वस्तु या पशु का स्वामी माना जाता है!
बड़े बड़े राजा महाराजा ,सामंत,शासक इसी डंडे के बल पर दूसरों पर हुकूमत करते रहे, इतिहास ने भी उन्ही लोगों की गाथाएं गाई जिनका डंडा मजबूत रहा, जिनका डंडा मजबूत नही था वह पराजित होते रहे,इतिहास की अदालत ने उन्हें ही श्रेष्ठ बताया जिनकी डंडे पर टिकी पताकाएं लहराई गयीं, जिनके डंडे में दम नहीं था, जो पराजित हुए वे चाहें कितने सज्जन रहे हों इतिहास ने उनसे न्याय नहीं किया!