कांग्रेस को बस इतनी गिनती आती है कि अगर पूछा जाए 2 + 2 कितना तो कहेंगे नरेंद्र मोदी – असीम मुनीर ने ट्रंप के साथ लंच क्या कर लिया और ये ढक्कन बरस पड़े कि मोदी की कूटनीति फेल हो गई – कोई देश अपने घर में किसे दावत देता है, ये उसकी मर्जी है, भारत से पूछ कर कोई निर्णय क्यों करेगा –
कांग्रेस की तो खुद की कूटनीति थी पाकिस्तान को खुश करने की, उसके लिए मनमोहन सिंह को कांग्रेस ने “देहाती औरत” सुनना भी कबूल कर लिया नवाज़ शरीफ से और यासीन मलिक जैसे आतंकी को मनमोहन सिंह ने घर बुला कर गले लगा कर बिरयानी खिलाई केवल पाकिस्तान को खुश करने के लिए – तो अब काहे को दर्द हो रहा है – मोदी को 23 देशों से सर्वोच्च सम्मान मिले हैं, वो कूटनीति की जीत की वजह से और तुम यहां सिर पीट रहे हो –
कांग्रेस की कूटनीति ने तो खुलकर “खालिस्तानियों” को समर्थन दे दिया लेकिन कल इस कूटनीति की कनाडा ने हवा निकाल दी – कनाडा की प्रमुख ख़ुफ़िया एजेंसी केनेडियन सिक्यूरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) ने पहली बार आधिकारिक तौर पर माना है कि –
“खालिस्तान समर्थक चरमपंथी भारत में हिंसा को बढ़ावा देने, उसके लिए धन जुटाने और उसकी योजना बनाने के लिए कनाडा की धरती का इस्तेमाल कर रहे हैं – कनाडा में राजनीति से प्रेरित हिंसक चरमपंथ का खतरा मुख्य रूप से कनाडा में रह रहे खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों के जरिए पिछली सदी के नौवें दशक में सामने आया जो भारत में पंजाब राज्य में खालिस्तान नाम से स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते हैं”
ये खुली स्वीकारोक्ति जस्टिन ट्रूडो और गुरपतवंत सिंह पन्नू के मुंह पर तमाचा है – और यह राहुल गांधी और उसकी कांग्रेस के मुंह पर भी तमाचा है जो पिछले वर्ष अमेरिका में खुल कर खालिस्तान को समर्थन देकर आया था और पन्नू ख़ुशी से झूम उठा था –
राहुल गांधी ने एक पगड़ी धारण किए हुए सिख के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा था –
The fight is about whether a Sikh, is allowed to wear a turban or a kada in India. Or he, as a Sikh is going to be able to go to Gurudwara. That’s what the fight is about. And not just for him, for all Indians”
राहुल गांधी के इस बयान ने गुरपतवंत सिंह की बांछें खिला दी और उसने उसे राहुल का खालिस्तान के लिए समर्थन मानते हुए कहा कि
“Rahul’s statement on ‘existential threat to Sikhs in india is not only bold
and pioneering but also firmly grounded in the factual history of what Sikhs
have been facing under successive regimes in India since 1947”
ऐसे कांग्रेस की डिप्लोमेसी को आज कनाडा ने झटका दिया और अब देखना होगा कि कांग्रेस से समर्थन पाए हुए खलितानियों को कनाडा में रहने भी दिया जाएगा या नहीं – भारत में तो उन्हें घुसने नहीं देना चाहिए –
कनाडा सरकार का खालिस्तानियों पर बयान कनाडा के प्रति मोदी की कूटनीति की बड़ी जीत है और इस कूटनीति ने ही जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी हिला दी – लेकिन कांग्रेसी बस छोटी छोटी बातें पकड़ कर मोदी के पीछे पड़े रहते हैं, अभी दो दिन पहले “नरेंद्र सरेंडर” पर मोदी ने ट्रंप को खरी खरी सुना कर कांग्रेस और उसके शहजादे की हवा निकाल दी लेकिन आज कांग्रेस को दूसरा बुखार चढ़ गया –