नाथूला (सिक्किम), 20 जून 2025: सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर ने नाथूला सीमा बैठक चौकी (BPM) को स्वर्गीय लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह को समर्पित किया। यह सम्मान 1967 के नाथूला युद्ध में उनके ऐतिहासिक योगदान की स्मृति में दिया गया, जहां उन्होंने भारतीय सेना का नेतृत्व कर चीनी सेना को करारा जवाब दिया था।
इस अवसर पर राज्यपाल माथुर ने कहा, “राजस्थानी होने के नाते मेरे लिए यह गर्व का क्षण है कि 1967 के नाथूला युद्ध के महानायक जनरल सगत सिंह के नाम से यह चौकी अब सुशोभित होगी। उनकी वीरता और रणनीति भारतीय सेना के इतिहास में अमर है।”
जनरल सगत सिंह: एक अमर बलिदानी
जनरल सगत सिंह का जन्म 14 जुलाई 1918 को राजस्थान के चूरू जिले के कुसुमदेसर में हुआ था। बीकानेर में शिक्षा प्राप्त करने वाले सगत सिंह ने 1938 में बीकानेर राज्य सेना में अपने सैन्य करियर की शुरुआत की। द्वितीय विश्व युद्ध में मेसोपोटामिया, सीरिया और फिलिस्तीन में सेवा दी। 1949 में 3 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्राप्त किया।
उनका सैन्य जीवन वीरता और नेतृत्व का प्रतीक रहा। 1961 के गोवा मुक्ति संग्राम में उनकी भूमिका ने उन्हें “गोवा के मुक्तिदाता” का खिताब दिलाया। 1967 में नाथूला संघर्ष में उनकी रणनीति ने भारत की स्थिति को मजबूत किया, वहीं 1971 के भारत-पाक युद्ध में मेघना नदी पार करने की उनकी रणनीति ने बांग्लादेश की मुक्ति में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्हें बांग्लादेश का पहला प्रशासक भी नियुक्त किया गया।
सम्मान और विरासत
जनरल सगत सिंह को 1972 में पद्म भूषण और परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM) से सम्मानित किया गया। 26 सितंबर 2001 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी वीरता और सैन्य कुशलता भारतीय सेना के इतिहास में अमर है।
नाथूला सीमा चौकी का उनके नाम पर समर्पण न केवल उनकी स्मृति को सम्मान है, बल्कि राजस्थान और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। यह चौकी अब उनकी वीरता और बलिदान की गाथा को सदा जीवंत रखेगी।