वाशिंगटन, 22 जून 2025, रविवार: विश्व पटल पर एक बार फिर हलचल मच गई, जब अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले कर दुनिया को चौंका दिया। इस सैन्य कार्रवाई के केंद्र में थे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो व्हाइट हाउस के वॉर रूम में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ हर पल की गतिविधि पर पैनी नजर रखे हुए थे। सामने आईं तस्वीरें इस ऐतिहासिक पल की गवाह हैं, जब अमेरिका ने ईरान को करारा जवाब दिया।
ट्रुथ सोशल पर ट्रंप का ऐलान: “सभी विमान सुरक्षित, फोर्डो पर सबसे ज्यादा बम!”
रविवार सुबह राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर इस ऑपरेशन की जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा, “हमारे सभी विमान ईरान की हवाई सीमा से सुरक्षित बाहर निकल चुके हैं और घर लौट रहे हैं। फोर्डो साइट पर सबसे ज्यादा बम बरसाए गए।” ट्रंप ने अमेरिकी सेना की तारीफ करते हुए कहा, “हमारे योद्धा दुनिया में बेजोड़ हैं। कोई और सेना ऐसा नहीं कर सकती!” साथ ही उन्होंने शांति की अपील करते हुए कहा, “अब समय है शांति का।” हालांकि, ईरान की ओर से अभी तक इस हमले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
ईरान को ट्रंप की दो टूक: “शांति चुनो, वरना अगला हमला होगा और घातक!”
राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को कड़ा संदेश देते हुए चेतावनी दी कि अगर उसने शांति का रास्ता नहीं अपनाया, तो अमेरिका की अगली कार्रवाई पहले से कहीं ज्यादा तीव्र और सटीक होगी। उन्होंने ऐलान किया कि रविवार को पेंटागन में अमेरिकी सेना एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगी, जिसमें इस सैन्य अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
इजरायल के साथ ‘अटूट’ साझेदारी: नेतन्याहू को ट्रंप का सलाम
इस ऑपरेशन में इजरायल के साथ अमेरिका के अभूतपूर्व तालमेल ने भी सुर्खियां बटोरीं। ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की तारीफ करते हुए कहा, “हमने एक ऐसी टीम के रूप में काम किया, जैसा पहले शायद कभी नहीं हुआ। मैं नेतन्याहू का आभार व्यक्त करता हूं। हमने इजरायल के सामने मौजूद बड़े खतरे को खत्म करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया।”
दुनिया की नजरें पेंटागन पर
इस हमले ने वैश्विक राजनीति में भूचाल ला दिया है। सभी की निगाहें अब पेंटागन की उस प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हैं, जिसमें इस सैन्य अभियान के और रहस्यों से पर्दा उठेगा। क्या यह हमला मध्य पूर्व में शांति की नई शुरुआत करेगा, या एक नए तनाव का सबब बनेगा? यह सवाल हर किसी के जेहन में है।
फिलहाल, ट्रंप की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वैश्विक मंच पर अमेरिका की ताकत को हल्के में नहीं लिया जा सकता।