नई दिल्ली, 21 जून 2025: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे की घंटी बजा रहा है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) मोती राम जाट को पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। जांच में सामने आया कि पाकिस्तान ने भारत में अपने जासूसी नेटवर्क को फंड करने के लिए एक ऐसा शातिराना तरीका अपनाया, जिसमें अनजान भारतीय नागरिकों को मोहरा बनाया गया।
पाकिस्तान का चालाकी भरा फंडिंग खेल
एनआईए की जांच से पता चला कि पाकिस्तानी एजेंटों ने सीधे पैसे ट्रांसफर करने के बजाय एक अनोखा हथकंडा अपनाया। उन्होंने मोती राम जाट के बैंक खातों में फंड पहुंचाने के लिए आम भारतीयों का इस्तेमाल किया, जो अनजाने में इस जासूसी नेटवर्क का हिस्सा बन गए। ये लोग छोटे-मोटे व्यवसायिक लेन-देन, जैसे ट्रैवल बुकिंग, मुद्रा विनिमय या अन्य सेवाओं के लिए भुगतान कर रहे थे। उन्हें भेजे गए QR कोड या बैंक डिटेल्स जाट के खातों से जुड़े थे, और उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वे एक देशद्रोही को फंड कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “ये लोग सोच रहे थे कि वे किसी सामान्य सौदे के लिए पेमेंट कर रहे हैं, लेकिन असल में उनके पैसे जासूसी के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। यह पाकिस्तान की चालबाजी का नया नमूना है।”
पेचीदा फाइनेंशियल ट्रेल ने उलझाई जांच
पाकिस्तानी एजेंटों ने ‘लेयरिंग’ तकनीक का सहारा लिया, जिसमें कई राज्यों के अलग-अलग बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर किए गए। दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से फंड का यह जटिल जाल बिछाया गया। इसने एनआईए की जांच को और चुनौतीपूर्ण बना दिया।
जम्मू-कश्मीर से दिल्ली तक जासूसी का ताना-बाना
मोती राम जाट जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में सीआरपीएफ की 116वीं बटालियन में तैनात थे। जांच में खुलासा हुआ कि 22 अप्रैल पहलगाम आतंकी हमले से महज पांच दिन पहले उनका दिल्ली तबादला हुआ था, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। 2023 से जाट ने पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के साथ मिलकर गोपनीय सूचनाएं साझा कीं, जिनमें सुरक्षा बलों की तैनाती, उनके मूवमेंट और मल्टी-एजेंसी सेंटर (एमएसी) की संवेदनशील रिपोर्टें शामिल थीं। बदले में उन्हें हर महीने 3,500 रुपये और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए 12,000 रुपये तक की रकम मिलती थी, जो उनके और उनकी पत्नी के खातों में जमा होती थी।
महिला ‘पत्रकार’ की आड़ में शुरू हुआ संपर्क
जाट ने दावा किया कि उसका पहला संपर्क एक महिला से हुआ, जो खुद को चंडीगढ़ के एक टीवी चैनल की पत्रकार बता रही थी। फोन और वीडियो कॉल्स के जरिए बातचीत के बाद वह दस्तावेज साझा करने लगा। कुछ महीनों बाद एक पुरुष, जो कथित तौर पर पाकिस्तानी अधिकारी था, ने ‘पत्रकार’ की आड़ में संपर्क बनाए रखा। हर महीने की चौथी तारीख को होने वाला पैसों का ट्रांसफर इस बात का सबूत है कि यह एक संगठित, सीमा पार से संचालित जासूसी नेटवर्क था, जिसकी जड़ें भारतीय बैंकिंग सिस्टम में गहरी थीं।
एनआईए की ताबड़तोड़ छापेमारी
एनआईए ने दिल्ली से जाट को हिरासत में लिया और देशभर में कई जगहों पर छापेमारी की। कोलकाता के अलीपुर में एक दुकान, खिदरपुर की एक ट्रैवल एजेंसी और पार्क सर्कस के एक होटल पर कार्रवाई की गई। खिदरपुर की ट्रैवल एजेंसी के मालिक से संदिग्ध लेन-देन के मामले में पूछताछ जारी है। छापेमारी में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, वित्तीय दस्तावेज और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है।
गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट
एनआईए ने इस जासूसी नेटवर्क की पुष्टि करते हुए गृह मंत्रालय, सीआरपीएफ और अन्य केंद्रीय एजेंसियों को इस नई फंडिंग तकनीक की जानकारी दी है। एजेंसी ने कहा, “पाकिस्तानी ऑपरेटिव्स के साथ संदिग्धों के गहरे संबंध थे। यह भारत में जासूसी गतिविधियों को वित्तीय सहायता देने का एक सुनियोजित षड्यंत्र था।”
राष्ट्र की सुरक्षा पर सवाल
यह मामला न केवल सीआरपीएफ जैसे सुरक्षा बलों की आंतरिक सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने के लिए कितने नए और खतरनाक तरीके अपना रहा है। एनआईए की जांच अभी जारी है, और इस जासूसी नेटवर्क के अन्य कनेक्शनों का पता लगाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
देश की सुरक्षा के लिए सतर्क रहें, क्योंकि दुश्मन अब नए चेहरों और तरीकों से हमला कर रहा है!