नई दिल्ली, 21 जून 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, और आज आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को पूरे मनोभाव से करने पर 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है। यह व्रत जीवन के कष्टों को दूर करने और पापों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।
कब है योगिनी एकादशी?
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 7:18 बजे शुरू हो रही है और 22 जून को सुबह 4:27 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर योगिनी एकादशी का व्रत आज, 21 जून (शनिवार) को रखा जाएगा।
व्रत पारण का शुभ मुहूर्त
योगिनी एकादशी व्रत का पारण 22 जून को दोपहर 1:47 बजे से शाम 4:35 बजे के बीच किया जाएगा। इस शुभ मुहूर्त में व्रत खोलना विशेष फलदायी माना जाता है।
योगिनी एकादशी की पूजा विधि
योगिनी एकादशी के व्रत के नियम दशमी तिथि की शाम से शुरू हो जाते हैं। दशमी की रात को गेहूं, मूंग, जौ और नमक का सेवन वर्जित है। एकादशी के दिन प्रात: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूजा में जल से भरा कलश स्थापित किया जाता है, भगवान को तिलक, अक्षत और भोग अर्पित किया जाता है। भोग में तुलसी पत्र शामिल करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पूजा का समापन आरती के साथ होता है।
योगिनी एकादशी का महत्व
पद्म पुराण के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत सभी पापों का नाश करने वाला है। इसे ‘रोग नाशक एकादशी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाने में विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इस व्रत और पूजा से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
धार्मिक विद्वानों का कहना है कि योगिनी एकादशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य भी लाता है। भक्तों से अपील है कि वे इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर व्रत और पूजा करें।